स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) और भारतीय रेलवे के बीच दीर्घकालिक भाड़े के लिए समझौते (Long Term Tariff Contract) पर 29 अगस्त 2017 कोरणनीतिक सहमति बनी है। इस समझौते पर रेलवे और सेल के वरिष्ठ अधिकारियों की मौजूदगी में कोलकाता स्थित दक्षिण-पूर्वी रेलवे के सीसीएम कार्यालय मेंहस्ताक्षर किया गया। इस समझौते पर रेलवे की तरफ से दक्षिण-पूर्वी रेलवे के सीसीएम श्री कौशिक मुखोपाध्याय और सेल की ओर से महाप्रबंधक (रेल मूवमेंट) श्री देबब्रत मइति ने हस्ताक्षर किया। यह समझौता तीन वर्ष के लिए है।
सेल भारतीय रेलवे के प्रमुख उपभोक्ताओं में से एक है, जिसका रेल कोअफिशन्ट 95% से अधिक है। इस समझौते में भारतीय रेलवे के पंद्रह ज़ोन आते हैं, जिसमें लौह और इस्पात, कच्चा लोहा, स्लैग, लाइमस्टोन, डोलोमाइट, मैंगनीज़ अयस्क इत्यादि जैसे दीर्घकालिक भाड़े के समझौते के लिए उपयुक्त विभिन्न सामान को टर्मिनल पर लादना और उतारना शामिल है। यह समझौता मानक सकल भाड़ा आय (Benchmark Gross Freight Revenue) और इसके अनुरूप 19.3 मिलियन टन के साथ 1 सितंबर, 2017 से प्रभावी होगा। मौजूदा समय में यह भारतीय रेलवे का सकल भाड़ा आय के संदर्भ में सबसे बड़ा दीर्घकालिक भाड़ा समझौता है।
इस समझौते के तहत निम्नलिखित उद्देश्यों को अधिसूचित किया गया है:
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ग्राहकों से दीर्घकालिक भाड़ा आय सुनिश्चित करना
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ग्राहकोंके किए भाड़ा दरों की स्थिरता और निश्चितता, और वैगनों की आपूर्ति सुनिश्चित करना
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रेलवे के लिए अतिरिक्त ट्रैफिक वॉल्यूम और राजस्व का उत्पादन
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ग्राहकों को ट्रैफिकक्षमता के साथ-साथ बढ़ोतरी पर भाड़ा छूट देना
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किसी भी विशेष अनुबंध वर्ष के दौरान ग्राहक कोभाड़ा बढ़ोत्तरी से सुरक्षा प्रदान करना
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सेल के विभिन्न इस्पात संयंत्रों के प्रमुख आधुनिकीकरण और विस्तारीकरण कार्यक्रम पूरा होने करीब हैं और इससे आवश्यक लाभप्रद वृद्धि प्राप्ति की पूरी संभावना है। सेल को उम्मीद है कि लादने और उतारने से संबन्धित क्षेत्रों में ढांचागत सुधार अवरोध को कम करेगा और इससे आने वाले समय में रेलवे वैगनों का कायाकल्प करने में लगने वाले समय को कम करने में मदद मिलेगी। इस तरह से दीर्घकालिक भाड़ा समझौता दोनों संगठनों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी होगा।