पटना, 15 मई :- बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता श्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार को दिये अपने विषेष पैकेज में कृषि क्षेत्रों के उन्नयन के लिए 31 हजार करोड़ रूपये दिये हैं । लेकिन अपनी कुर्सी बचाने के लिए राजनीतिक धींगामुष्ती में नीतीष कुमार की नजर से कृषि और किसानी विकास कार्यक्रम कोसों दूर हो गया है ।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि प्रधानमंत्री ने अपने विषेष पैकेज में पूसा का केन्द्रीय कृषि विष्वविद्यालय के स्तर तक उन्नयन के लिए 400 करोड़, मछली पालन विकास योजना के लिए 200 करोड़, कृषि जल प्रबंधन (सूक्ष्म सिंचाई, जल संसाधनों का सृजन) के लिए 750 करोड़, भंडारण क्षमता के विकास के लिए 600 करोड़, कृषि यंत्रीकरण के लिए 600 करोड़, बीज उत्पादन प्रणाली के लिए 300 करोड़, मोतिहारी में एकीकृत कृषि प्रणाली पर राष्ट्रीय अनुसंधान केन्द्र के लिए 30 करोड़ और सुपौल, मधेपुरा, हाजीपुर तथा चकिया बाजार में नये गोदाम के निर्माण के लिए 214 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है । लेकिन राज्य सरकार उपर्युक्त योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। कई कृषि संस्थानों के लिए जमीन तक नहीं उपलब्ध करा रही है। भाजपा कार्यकर्ता पार्टी के शुरू हो रहे महासंपर्क अभियान में एक-एक गांव में केन्द्र की इन योजनाओं से किसानों को अवगत करायेंगे ।
श्री यादव ने कहा कि भारत सरकार ने सन् 2016-17 के दौरान राज्य में 40 कस्टम हायरिंग केन्द्रों, 2 हाइटेक केन्द्रों और गांव स्तर पर 229 फार्म मषीनरी बैंकों को स्थापित करने के लिए 14 करोड़ रूपया दिया है। इसी प्रकार 2014-15 में 126 कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना के लिए 9 करोड़ रूपया दिया । लेकिन राषि का सदुपयोग नहीं किये जाने के कारण 2015-16 में राज्य सरकार और राषि लेने में फेल रही । कृषि यांत्रिकीकरण के तहत कृषि मषीनीकरण के उपमिषन योजना के अन्तर्गत 2016-17 में राज्य सरकार ने ट्रैक्टरों के वितरण के लिए कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया । जिससे बिहार के कृषकों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि के लिए भारत सरकार सूबे के किसानों को नई-नई तकनीक से अवगत कराने को तत्पर है और इसके लिए करोड़ों-करोड़ रूपया दे रही है लेकिन राज्य सरकार इसे किसानों व खेत-खलिहानों तक पहुंचाने में पूरी तरह विफल है। कृषि व किसानी विकास की इन योजनाओं से पूरी तरह विमुख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सिर्फ अपनी कुर्सी बचाये रखने की चिंता खाये जा रही है।