अमनौर ही नही सारण का नाम किया रौंशन। ऐसे स्वेता कुमारी सिंह का घर माने एकमा है परंतु इनका लालन पालन ननिहाल में हुआ। इनका ननिहाल स्थानीय प्रखंड के अमनौर हरनारायण उत्तर टोला में पड़ता है। इनके पिता का नाम श्री स्व रामनाथ सिंह माता श्रीमति बसंती सिंह,है,स्वेता कुमारी सिंह का चयन सीनियर ग्रेड जुडिशियल सर्विसेज में हुआ है। जिला जज के रुप मे पदस्थापित होकर होकर विहार में 26 वा स्थान प्राप्त कर।सारण की धरती का गर्वान्वित करने का काम इस बेटी ने किया है। ननिहाल अमनौर उत्तर टोला अपने नाना श्री हरिशंकर सिंह के आशीर्वाद और सानिध्य में पली बढ़ी। स्वेता के पिता भारतीय रेल में स्टेशन प्रबंधक के तौर पर छपरा रेल खंड में एक लंबे समय तक पदस्थापित रहे।उन्होंने अपने काम के अतिरिक्त समाजिक ब्यवहार से एक विशेष ख्याति अर्पित की थी। बचपन से मेघावी स्वेता सात साल की उम्र में अखिल भारतीय परीक्षा देकर मंसूरी में 1885 से अंग्रेजो द्वारा स्थापित स्कूल में स्कलरशिप में पढ़ने के लिए गई। तत्पश्चात आगे की शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की।देश के सर्वोत्तम महिला लेडी श्री राम कालेज से इतिहास से स्नातक की। कानून की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के ही लव सेंटर से की। श्वेता का ससुराल दरभंगा में रामानंद सिंह जो बिहार के अतिविशिष्ट इंजीनियर रहे है उनके पुत्र राजेश कुमार से वर्ष 2006 में शादी हुई। राजेश कुमार स्वयं कानूनी और कम्पनी लव के अंतरराष्ट्रीय स्तर के सलाहकार है। इनसब के बावजूद विहार की माटी से अपने संबंध और उपजे दायित्व बोध से प्रेरित श्वेता ने े शहरों एव आधुनिक जीवन के चकाचैध को छोर कर बिहार की लोगो को न्याय देने और दिलाने का रास्ता चुना। नौ भाई बहनों के बीच मे पली बढ़ी श्वेता को उनसे बड़ी पाँच बहनों का विशेष स्नेह प्राप्त हुआ। वे विशेष कर अपनी बड़ी बहन प्रीति सिंह और बहनोई जितेंद्र सिंह की लाडली रही जिन्होंने उनका कन्या दान भी किया। शादी के बाद सास ससुर का विशेष स्नेह और पति राजेश सिंह का विशेष सहयोग मिला। जिससे अपने दो बच्चों बेटा आरव राज सिंह,बेटी शाम्भी सिंह को बहुत अच्छी परवरिश देते हुये। यह कठिन परीक्षा उतीर्ण की। इसमें उनकी छोटी बहन डा पूजा सिंह और उनके देवर राकेश कुमार सिंह की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
सारण की सुपुत्री स्वेता बनी जिला जज
