- (पंकज कुमार श्रीवास्तव) बिहार को पिछडे राज्य की श्रेणी से निकालकर विकशीत राज्य कि श्रेणी में लाने के लिए पूर्व मुख्यमंञी नीतीश कुमार ने सूबे के युवावों को कई सपने दिखाये। इन सपनों में एक खास था,बिहार को कृषि क्षेञ में इस कदर आत्म-निर्भर बना देना जहाँ हर भारतीय के खाने में कोई न कोई बिहार ब्रांड खाद्य (आईटम) मौजूद हो ही। इन योजनाओं के लिए भारी-भरकम बजट के साथ कई सार्थक कदम भी उठाये गये। स्पष्ट दिशा निर्देश और इच्छा शक्ति के अभाव में ये महत्वकांक्षी योजनाये बेहतर शक्ल लेने के पूर्व ही दम तोडती गई और अपने साथ न जाने कितने युवावों का भविष्य अंधकार के खाई में धकेल गयीं। हाँ शक्ल तो एक ही था,नाम जरूर बदलते गये। वस्तुविषय विषेशज्ञ,कृषि सलाहकार,सांख्यिकी स्वयंसेवक बहरहाल हम अभी बात कर रहे हैं सांख्यिकी स्वयंसेवकों की। तत्कालिन सरकार की सोच थी,किसी भी गणना को शिक्षक या बिहार सरकार के कर्मचारी से न कराई जाए इससे शिक्षा और सरकारी कार्य बाधित होता है। इसके लिए एक नई नियुक्ती की आवश्यकता पर जोर दिया गया। राजनैतिक तामझाम के साथ फरवरी 2012 में अखबारों में विज्ञापन निकाला गया । 8402 लोगों की पहली नियुक्ती पंचायत स्तर पर की गई। नाम दिया गया सांख्यिकी स्वयंसेवक काम था फसल कटनी,पशु गणना,स्वास्थ गणना,आर्थिक गणना,समाजिक,जाति एवं आर्थिक अधारित जनगणना। इस नियुक्ती का सकरात्मक परिणाम भी आने लगा इन्हीं सांख्यिकी स्वयंसेवकों के सटीक आकडों पर खद्य सुरक्षा बिल तैयार हुआ। शुरूआती सफलता से मदहोश सरकार ने 2013 में एक बडी नियुक्ती की घोषणा कर दी। इस आँनलाईन आवेदन में आवेदकों की संख्या 4.5 लाख थी। एनआईसी ने जीला स्तर पर पाञता परिक्षा आयोजित किया। सफल उम्मीदवारों की संख्या थी 72639 थी। इनमें से 40,000 को आठवी आर्थिक जनगणना के लिए वार्ड,पंचायत ,प्रखंड एवं नगर निगम स्तर पर लगाया गया। मानदेय भी तय हुआ, नगर निगम स्तर पर 9000 रूपया एवं प्रखंड स्तर पर 8400 रूपया प्रति माह। आठवी आर्थिक जनगणना पूरा होते ही सफल उम्मीदवारों को छाटकर महज साल में तीन माह का ही काम दिया गया। बाकी बचे लडको को अश्वासन देकर बैठा दिया गया। इधर बिहार सरकार इन्हीं लडको के श्रम के बदौलत 2013 में कृषि क्षेञ में एक लम्बी छलाँग लगाई और देश का प्रतिष्ठित सम्मान “कृषिक्रमण” को जीता। इधर पहली नियुक्ती वालों को काम के अनुसार पैसा भी दिया गया। सरकारी नौकरी का झुनझुना थमाकर इनसे काम भी बेहद कम दाम में लिया गया जन्म-प्रमाण पञ भरवाने के लिए 6 रूपया प्रति फर्म दिया गया वही आँगनबाडी सेविका को इसी कार्य के लिए 20 रूपया प्रति फर्म दिया गया। फसल कटनी पर आकडा इकट्ठा करने पर 4500 रूपया दिया जाना था मिला 3500 रूपया। शोषण और अपनों के बीच फुट डालने से तंग आकर पहली बार सांख्यिकी स्वयंसेवकों ने बगावत का निर्णय लिया। पटना के आर.ब्लाक पर शांतिपूर्ण धरणा का। निर्धारित समय पर शांतिपूर्ण ढंग से धरणा दिया गया। धरणा स्थल पर खुद अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशक रेणुलता ने आकर इनकी माँगों को जायज ठहराया और अश्वाशन दिया, जल्द ही आपकी समस्याओं को दूर कर लिया जायेगा। एक महिना गुजर गया कोई असर न देख कर एक बार पुनः सभी सम्बंधित विभागों को पूर्व सूचना दी गई 10 फरवरी 2013 को आर ब्लाक पर धरणा का। आर ब्लाक पहुँचने के पूर्व ही डाकबंगला चौराहा पर पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। 19 सांख्यिकी स्वयंसेवकों को जेल भी भेज दिया गया। शेष बचे सांख्यिकी स्वयंसेवकों को आर ब्लाक पहुँचते ही लाठी चार्ज कर भगा दिया गया। तीसरी बार 1 जूलाई 2014 को आर. ब्लाक. पर आंदोलन कर रहे सांख्यिकी स्वयंसेवकों को फिर डंडों के जोर पर भगा दिया गया। बेहतर भविष्य का सपना देखने वालों के सामने अब दो ही विकल्प बचे थे फाँकाक्सी या फिर लगातार आंदोलन, निर्णय हुआ आंदोलन। सामूहिक भूख हडताल 11 नवम्बर 2014 से,एक बार फिर सभी सम्बंधित विभागों को पञ के माध्यम से पूर्व सूचना दे दी गई। 10,000 की संख्या में भूख हडताल पर बैठे इन सांख्यिकी स्वयंसेवकों को 5 दिनों तक सुध लेने वाला कोई कोई नहीं था। अचानक 16 नवम्बर मध्य राञी को बडी संख्या में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। प्रदेश संयोजक सह प्रवक्ता मंजय कुमार चंद्रवंशी के अनुसर महिला पुलिस बल के गैर मौजूदगी में महिला सांख्यिकी स्वयंसेवकों को मारा-पीटा गया। 22 दिसम्बर 2014 से लगातार 6 दिनों तक बिहार विधान सभा का घेराव हुआ नतीजा 26 दिसम्बर को मुख्यमंञी जीतन राम माँझी ने 5 सदस्यों को मिलने के लिए बुलावा भेजा। मुख्यमंञी जीतन राम माँझी का कथन था हम बहुत शाब्दिक विचार धारा के मुख्यमंञी हैं। जिस तरह हमने राज्य में सभी को 60 साल की नौकरी और मान्यदेय निर्धारित किया है ठीक उसी तरह सांख्यिकी स्वयंसेवकों को भी 60 साल की नौकरी और मान्यदेय निर्धारित किया जायेगा। जिसके लिए 5 से 7 जनवरी 2015 के बीच वरीये अधिकारी एवं सम्बंधित मंञी से बैठक कर आपकी माँग पूरी कर दी जायेगी। अगर 5 से 7 जनवरी को इनकी बात नहीं मानी जाती है तो सांख्यिकी स्वयंसेवकों के संगठन ने आर-पार की लडाई की घोषणा कर दी है। 5 फरवरी को ये बिहार बंद का आयोजन करेंगें वही 5 फरवरी को जेल भरो अभियान,मुख्यमंञी आवास घेराव,दिल्ली के जंतर-मंञर पर धरणा के तिथियों की घोषणा करेगें।