सरकार नारो और इश्तहारों से नही चलती उसके लिए निगरानी करनी पड़ती है ।

 

(लेखक:-अभिषेक कुमार सिंह, संपादक, बिहार पत्रिका)

पिछले कई दिनों से मुज़फ्फरपुर बालिका गृह कांड की ख़बर सुर्खियों में है। इस ख़बर ने पूरे राज्य ही नही बल्कि देश की जनता को सोचने पर मजबूर कर दिया है । आंखिर कहाँ चला गया है हमारा समाज । जो दिखता है सामने उससे साफ अलग । जो अधिकारी और नेता समाज के नज़र में एक रॉल मॉडल होते है उनकी ये करतूत बहुत ही शर्मिंदा करता है हमें । कहने को तो अधिकारी बहुत पढ़ लिख कर बनते है लोग । नेता समाज सेवक होते है । पत्रकार निष्पक्ष होते है । इन सबके बाउजूद वो क्यों इतने हैवान हो जाते है । उनसे तो बेहतर एक पेशेवर अपराधी है जो अपना अपराधी का छवि लेकर अपराध करता है । उन वाइट कॉलर लोगो द्वारा किया ये घृणित अपराध माफी के परे है ।
और सबसे बड़ा सवाल है इन सरकारों से ? आपको तो जनता चुनती है इसलिए कि आप उनके जीवन को सरल करेंगे ? उनके हरेक समस्या का समाधान करेंगे । उनको बेहतर स्वास्थ्य और शिक्षा देंगे ? न्याय देंगे ? ये सब तो दूर आपकी सरकार में नेता, अधिकारी, पत्रकार एक सरकारी संस्था में मासूम बच्चीयों का जिस्म नोचता है । इन बेटियों के साथ ऐसा सुलूक मत कीजिये आपने ही तो नारा दिया था “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” अब बचा लीजिये इन्हें ।
अब जरूरत है इन सरकारों को सचेत हो जाने की क्योंकि नारो और इश्तेहारो से देश और राज्य गुलज़ार नही होता । उसके लिए लगातार निगरानी करनी पड़ती है नीति और नियत के स्तर पर । अगर आप से निगरानी नही हो रही तो याद रखिए जनता नज़रभर देख रही है ।

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