छपरा-कभी पान की खेती में मसहूर प्रखण्ड के पानापुर गांव से अब पान की खेती बिलुप्त होते नजर आता है जिस कारण अब इस गांव में एक्का दुक्का ही पान के बरेव देखने को मिलता है .जानकार बताते है की कभी पानापुर के पान के पत्ते मसहूर हुआ करता था जिस कारण जिला के बड़े मंडीयो में यहाँ के पान का खूब मांग था.इस खेती से जुड़े 80 वर्षीय किसान गणेश भगत बताते है की सरकारी उपेक्षा के कारण अपनी पुस्तैनी खेती ्पान ् को छोड़ अन्य फसलो की खेती करने को मजबूर है वे कहते है की पान की खेती करने में बहुत ज्यादा लागत अता है लेकिन इस के लिए कोई सरकारी ऋण नही मिलता है और नहीं फसल क्षतिपूर्ति मिलता है .अपने बरेव में ठंढ से बिखरते पान के पत्तो को दिखाते हुए कहते है कर्ज लेकर पानकी खेती की गई थी जो कड़ाके की ठंढ के कारण पान के फसल नुकसान होरहा है महाजन का कर्ज कैसे अदा होगा .वही बिक्रमा भगत बताते है की कभी पानापुर गांव हर घर पान ही मुख्य खेती था लेकिन युवा वर्ग कम इनकम के कारण अपने पुस्तैनी खेती को छोर पलायन करने को मजबूर है यही वजह है की पान की खेती बिलुप्त होते जारही है।