७८ हजार करोड़ का बजट, खर्च मात्र २३ हजार करोड़ और बिहार सरकार स्पेशल राज्य का पैकेज मांगती है पर जो पैकेज यानीबजट खर्च केलिए आई है उसका मात्र १० फीसदी से कम पैसा १३ विभागों ने कियाहै . जो बहूत ही शर्म की बात है परन्तु विपक्ष भी मौन है.
जो बजट बिहार के विकास के लिए है उसका खर्च न होना सरकार की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है की यह सरकार आखिर कर क्या रही है.
आकड़े:-
ग्रामीण विकास ने ९१२३ करोड़ में से केवल ९४१करोड़ खर्च किया, सहकारिता ने ५१५ करोड़ में से एक पैसा खर्च नहीं किया ,कृषि के लिए २३२४करोड़ का बजट मात्र १३९ करोड़ खर्च, स्वास्थ के लिए ५३५६ करोड़ में से सिर्फ ४०२ करोड़ खर्च, दलित छात्रवृति के १५७५ करोड़ में सिर्फ ११९ करोड़ खर्च, पिछड़ों को छात्रवृति के लिए १५८५करोड़ में से एक पैसा खर्च नहीं किया, रासन के अनाज के लिए २१२१ करोड़ में से मात्र ४ करोड़ खर्च किया.
इन आकड़ो को देखने से यही प्रतीत होता है की सरकार की प्राथमिकता और ध्यान भ्रमित हो रहा है .