पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आम लोगों को अपने दरवाजे से भगा देने वाले लालू प्रसाद यादव के पास इतना समय है कि वह बलात्कारी राजबल्लभ यादव से बंद कमरे में दो घंटे तक बातचीत करने का समय निकाल पाते हैं? यह लालू और राजबल्लभ की मिलीभगत का ही परिणाम है कि नीतीश सरकार राजबल्लभ की बेल का मज़बूती से विरोध नहीं कर पायी। क्या नीतीश कुमार कल सुप्रीम कोर्ट में देश के किसी वरिष्ठ अधिवक्ता से बेल का विरोध करवाएंगे या लालू को खुश करने के लिए बेल रद्द करवाने का नाटक करेंगे?
उन्होने कहा कि क्या यह सही नहीं है कि पीड़िता की जांच करने वाली महिला चिकित्सा अधिकारी ने लालू प्रसाद और स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव से विधायक राजबल्लभ यादव की निकटता के दबाव में मेडिकल रिपोर्ट तैयार की थी और बलात्कार की पुष्टि करने के बजाय उसे ‘शारीरिक संबंध बनाने का आदती’ (used to sex) घोषित कर दिया था? इस शर्मनाक रिपोर्ट के कारण नालंदा के जिला अधिकारी ने चिकित्सा अधिकारी को निलंबित करने की अनुशंसा की थी जिसपर लालू के प्रभाव के कारण स्वास्थ्य विभाग कुंडली मरकर बैठ गया।
सुशील मोदी ने कहा कि राजबल्लभ को बचाने के लिए महिला चिकित्सा अधिकारी से स्वास्थ्य विभाग को एक पत्र लिखवाया, जिसमें उल्टे अभियोजन पक्ष के खिलाफ शिकायत की गई कि वे लोग मनचाही रिपोर्ट बनाने के लिए उस पर दबाव डाल रहे हैं। नीतीश सरकार अदालत में इस साजिश को बेनकाब क्यों नहीं कर पायी?
नीतीश कुमार बताएं कि जब विधायक के खिलाफ केवल तीन मामले चलने का सबूत था, तब सरकारी वकील ने विधायक के खिलाफ 10 आपराधिक मामले चलने की बात क्यों कही? पीड़िता को धमकी मिलने का भी कोई सबूत सरकार क्यों नहीं पेश कर पायी? नीतीश कुमार बताएं कि क्या इन्ही कारणों से राजबल्लभ को बेल मिलने में मदद नहीं मिली है?