पटना : 05-01-2018
सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी मुखिया और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को 1990-1994 के बीच देवघर के सरकारी कोषागार से 89.27 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में लालू प्रसाद यादव को दोषी करार कर साढ़े तीन साल की सजा सुनाई है। इस मामले में लालू के साथ 15 अन्य दोषियों को भी सजा सुनाई गई है। सजा के ऐलान के साथ ही सीबीआई कोर्ट ने उम्र को ध्यान में रखते हुए लालू यादव सहित सभी दोषियों को झारखंड के हजारीबाग की खुली जेल में रखने की प्रदेश सरकार से अनुशंसा की है।
सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने आरजेडी सुप्रीमो और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव और अन्य दोषियों के खिलाफ सजा सुनाने से पहले तीखी टिप्पणी की। सीबीआई जज ने कहा कि दोषियों के लिए ओपन जेल ठीक होगी क्योंकि उन्हें काउ-फार्मिंग का अनुभव है।
21 साल से जारी इस केस में कोर्ट ने 16 आरोपियों को दोषी करार दिया था। इनमें से 8 को 3.5 साल की जेल दी गई है। दोषी करार दिए अन्य नेता-अधिकारियों के नाम इस प्रकार से हैं- पूर्व सांसद आर के राणा, फूल चंद सिंह, संजय कुमार अग्रवाल, गोपीनाथ दास, महेश प्रसाद, सुनील गांधी, सुबीर कुमार भट्टाचार्य, जगदीश शर्मा, बेक जूलियस, कृष्ण कुमार प्रसाद, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुशील कुमार, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी और ज्योति कुमार झा।
इससे पूर्व शनिवार की शाम चार बजे झारखंड में रांची की एक अदालत में चारा घोटाले से जुड़े एक मामले में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सजा का ऐलान हो रहा था, ठीक उसी समय बिहार के पटना में आरजेडी की हाल के दिनों की सबसे बड़ी मीटिंग हो रही थी। इस मीटिंग में आरजेडी के तमाम टॉप नेताओं के अलावा पूरे प्रदेश से पदाधिकारी भी शामिल हो रहे थे। जाहिर था, पार्टी बड़ी सजा की आशंका के बीच आगे की रणनीति और सबको एकजुट रखने की कोशिशों के बीच संदेश देना चाह रही थी कि लालू की अनुपस्थिति में भी वह मुकाबले के लिए तैयार है।
वहीं, सजा के ऐलान पर नीतीश कुमार की अगुआई वाली जेडीयू और बीजेपी भी इस फैसले पर टकटकी लगाकर देख रही थी। इनका आकलन था कि अधिक दिनों तक लालू प्रसाद के जेल में रहने का मतलब है- विपक्ष मुक्त बिहार को अमल में लाने का समय। आरजेडी जहां लालू के लिए अधिकतम 3 साल सजा की दुआ कर रहा था जिससे तत्काल जेल से जमानत मिल जाए। वहीं, बीजेपी और जेडीयू का गणित था कि 5 साल जेल मिलने पर जमानत मिलने में देरी होगी। इसके लिए हाई कोर्ट तक जाना होगा। हालांकि जब जज ने न 3 साल न 5 साल की सजा दी बल्कि 3.5 साल की सजा सुनाई तो दोनों खेमा नए सिरे से आकलन में जुट गया है।
हालांकि फिलहाल जो केस की स्थिति है उस हिसाब से लालू प्रसाद का तुरंत जेल से निकल पाना आसान नहीं है। अभी इस केस में सजा मिलने के अलावा चार और केस में कोर्ट का फैसला आना है। सूत्रों के अनुसार जनवरी महीने में ही उन सभी मामले में अगर लालू प्रसाद को सजा मिलती गई तो सबमें अलग-अलग सजा मिलेगी और सबमें अलग-अलग जमानत लेनी होगी।
इस बीच लालू की सजा को लेकर राजनीतिक गलियारों में तरह-तरह की प्रतिक्रयाएं भी सामने आने लगी हैं।
- सत्तारूढ़ जेडीयू और बीजेपी ने जहां अदालत के फैसले का स्वागत किया है वहीं आरजेडी ने कहा है कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनौती देंगे।
- जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने अदालत के इस फैसले पर खुशी जाहिर की। त्यागी ने कहा, ‘हम इस फैसले का स्वागत करते हैं। यह बिहार की राजनीति में एक ऐतिहासिक फैसला साबित होगा।’ इस दौरान उन्होंने लालू का नाम लिए बगैर कहा कि यह एक चैप्टर का अंत है।
- उधर, लालू यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनके पिता को जमानत जरूर मिलेगी। तेज प्रताप ने कहा, ‘हमारा देश की न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है। हमें पूरी उम्मीद है कि लालू यादव को जमानत मिलेगी। हम धैर्य नहीं छोड़ेंगे।’
- आरजेडी के राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा है कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे। झा ने कहा कि पार्टी के पास जो भी साक्ष्य हैं, उन्हें उच्च सदन में रखेंगे।
- वहीं बीजेपी के वरिष्ठ नेता और प्रवक्ता जीवीएल जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी इस फैसले पर खुशी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इस फैसले से देश में यह संदेश जाएगा कि अदालत से बड़ा कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार में जो भी लिप्त है, उसे ऐसी सजा मिलनी ही चाहिए ताकि समाज में एक मजबूत संदेश जाए।
- वरिष्ठ भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, “बिहार के लोगों को अंत में न्याय मिल गया” ।
सजा का एलान के बाद अब लालू यादव को जेल में ही रहना पड़ेगा। हाईकोर्ट से जमानत के लिए करीब 15 दिनों का वक्त लग सकता है। ऐसे में लालू यादव का रूटीन बिल्कुल बदल जाएगा। अब उन्हें जेल के नियम-कायदे के अनुसार ही चलना होगा । उन्हें अन्य कैदियों के साथ ही उठाया जाएगा। खाना का वक्त भी बिल्कुल तय है और उसी समय उन्हें भोजन के लिए आना होगा। उन्हें जो काम दिया गया है, उसे करने के साथ ही जेल की पूरी दिनचर्या का पालन करना होगा। लालू पर चारा घोटाला के कुछ और मामले चल रहे हैं। ऐसे में उन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट भी जाना होगा।
ऐसे शुरू हुआ था मामला
950 करोड़ के चारा घोटाले का खुलासा 1996 में हुआ था। साल 2000 में जब बिहार से झारखण्ड अलग हुआ, तब इस घोटाले के 61 में से 39 केस नए राज्य में ट्रांसफर कर दिए गए। केस ट्रांसफर के वक्त 20 ट्रक भरकर डॉक्यूमेंट्स भेजे गए थे, जिनके आधार पर सीबीआई कोर्ट ने बीते 23 दिसंबर को लालू यादव को दोषी करार दिया।
1994 में बिहार पुलिस ने कई क्षेत्रों के ट्रेजरी डिपार्टमेंट से फर्जी बिल जमा करवाए। इसके बाद एनिमल हसबैंडरी डिपार्टमेंट के कई कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। तब लालू यादव बिहार के सीएम थे। विपक्षी पार्टियों ने घोटाले की सीबीआई जांच की मांग की। उनका आरोप था कि बिना सत्ताधारी पार्टी की जानकारी के इतना बड़ा स्कैम नहीं हो सकता। दो साल बाद 1996 में सीबीआई ने जांच शुरू की और चारे, पशुओं की दवा आदि के खर्च के लिए करोड़ों के बिल बरामद किए। यही नहीं, सीबीआई ने लालू यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी को आय से ज्यादा संपत्ति रखने के आरोप भी लगाए। इस केस में लालू यादव दो बार जेल भी गए। 2017 में वे 7वीं बार जेल में हैं।
- पहली बार- 30 जुलाई, 1997 (135 दिन)
- दूसरी बार 28 अक्टूबर, 1998 (73 दिन)
- तीसरी बार- 5 अप्रैल, 2000 (11 दिन)
- चौथी बार- 28 नवंबर, 2000 (1दिन)
- पांचवीं बार- 26 नवंबर, 2001 (23 दिन)
- छठवीं बार – 3 अक्टूबर, 2013 (दो माह 10 दिन)
- सातवीं बार – 23 दिसंबर, 2017
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