यात्रा से पूर्व तमिलनाडु के नेता प्रतिपक्ष स्टैलिन से मिलकर योगेंद्र यादव व स्वराज अभियान के नेतृत्व ने ज्ञापन भी सौंपा।
स्वराज अभियान के जय किसान आँदोलन और अन्य साथी संगठनों द्वारा आज चेन्नई से किसान अधिकार यात्रा की शुरूआत हुई। इस यात्रा का नेतृत्व स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जय किसान आँदोलन के संस्थापक योगेंद्र यादव कर रहे हैं। आज यात्रा से पूर्व स्वराज अभियान का नेतृत्व तमिलनाडु के नेता प्रतिपक्ष स्टालिन से भी मिला। श्री स्टालिन को स्वराज अभियान द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर सूखा राहत याचिका और उस पर आए अदालत के ऐतिहासिक फ़ैसले के बारे में बताया गया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का तमिलनाडु में पालन कराने और इस मुद्दे को विधानसभा में उठाने की बात भी कही। स्वराज अभियान की ओर से योगेंद्र यादव, जय किसान आँदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अभीक साहा और स्वराज अभियान के नेतृत्व ने उन्हें एक ज्ञापन भी दिया।
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किसान अधिकार यात्रा का शुभारंभ आज पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल श्री गोपाल कृष्ण गांधी ने किया। श्री गांधी ने इस यात्रा को एक जरुरी और महत्वपूर्ण यात्रा बताते हुए इस यात्रा की तुलना गांधी जी के चम्पारण यात्रा से की। श्री गांधी ने कहा कि यह यात्रा ठीक उसी तरह से लोगों के सामने उदाहरण प्रस्तुत कर रही है जिस तरह से गांधी जी की चम्पारण यात्रा ने लोगों को नींद से जगाया और उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया था। सनद रहे कि यह वर्ष चम्पारण यात्रा का सौंवा वर्ष भी है।
श्री गांधी ने सभी यात्रियों को अंगौछा भेंटकर आशीर्वाद दिया और झंडा लहराकर यात्रा का शुभारम्भ किया।
सभा में योगेंद्र यादव ने भी लोगों को संबोधित किया और कहा कि मेरे लिए सच्चा राष्ट्रवाद यही है कि जब तमिलनाडु में सूखा पड़े तो हरियाणा और उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से लोग मदद के लिए साथ आएं। पूरा देश एक दूजे के दुःख-सुख में सहयोगी बने, यही सच्चा राष्ट्रवाद है ना कि वो जो अन्य राजनैतिक पार्टियों ने देश के बाहर और देश के भीतर दुश्मन पैदा करके किया है।
उन्होंने कहा कि यह यात्रा मात्र एक यात्रा नहीं है बल्कि हर राज्य के लोगों का मेल है। हम यहाँ इसलिए नहीं हैं कि तमिलनाडु के लोग अपनी सहायता नहीं कर सकते बल्कि हमें एक-दूसरे के दर्द में साथ होना चाहिए। वास्तव में हम यहाँ यह समझने के लिए हैं कि राष्ट्रवाद क्या है।
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इस तरह का सूखा तमिलनाडु में 140 सालों बाद पड़ा है। अगर यह सूखा सामान्य काल मे आया होता तो इससे निपटने के लिए किसानों ने रास्ते निकाल लिए होते लेकिन यह ऐसे काल मे आया कि जब कृषि में अनेकों समस्याएं पहले से ही चल रही थीं। भारत मे किसान की स्थिति इतनी भी अच्छी नहीं है कि वो एक मौसम के सूखे या बाढ़ को झेल सके। इस सबके लिए सरकारें जिम्मेदार हैं।
पिछले वर्ष के सूखा के संदर्भ में सुप्रीमकोर्ट ने एक महत्त्वपूर्ण निर्णय में कहा था कि सूखे से पीड़ितों की मदद के लिए पैसे को कभी बहाना न बनाया जाय और सभी व्यक्तियों को बिना बीपीएल के राशन देने का आदेश भी दिया था। इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने मजदूरी के पुनर्मूल्यांकन की बात भी कही थी। लेकिन सरकारों के कान तक जूं तक नही रेंगी। इस संदर्भ में आज तमिल नेता स्टालिन से भी मुलाकात की गई।
योगेंद्र यादव ने कहा कि मुझे पता है कि यह यात्रा किसी भी टीवी या समाचार की हैडलाइन नहीं बनने जा रही है और न ही यह यात्रा किसी चैनल के प्राइम टाइम का हिस्सा बनने जा रही है लेकिन इस यात्रा की प्रासंगिकता आज से पचास साल बाद समझ मे आएगी जब लोग कहेंगे कि उस समय में कुछ देश और किसानों के लिए पागल लोग थे जो इस तरह की यात्रा निकालते थे। ये बात उन्हें उस समय बहुत प्रेरणा देगी और हम उसी के लिए यहाँ हैं।