22 साल पुराने मुंबई ब्लास्ट में 260 लोगों की मौत हो गई थी और 713 अन्य घायल हो गए थे। इसके दोषी याकूब मेमन को 30 जुलाई सुबह सात बजे नागपुर जेल में फाँसी दी जाएगी। याकूब मेमन की दया याचिका सुप्रीम कोर्ट से लेकर राष्ट्रपति तक ने खारिज कर दी है। नतीजा इस केस में ये पहली फाँसी होगी। राज्य सरकार की ओर से याकूब मेमन के परिवार को भी फांसी की तारीख के बारे में सूचित कर दिया गया है।
याकूब की रिव्यू पिटिशन सुप्रीम कोर्ट ने 9 अप्रैल को खारिज कर दिया था और उसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने टाडा अदालत से उसे फांसी देने की इजाजत लेने की कार्यवाही शुरू कर दी थी। टाडा अदालत ने उसे फांसी पर लटकाने का वॉरंट जारी कर दिया है। जेल में याकूब के स्वास्थ्य की लगातार निगरानी की जा रही है।
53 वर्षीय याकूब को टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 में आपराधिक साजिश का दोषी करार देते हुए सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसने बॉम्बे हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति तक के पास अपील की, लेकिन उसे राहत नहीं मिली। हालांकि, उसने क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल की है, जिसपर 30 जुलाई से पहले सुनवाई हो सकती है।
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट और धमाकों के मास्टरमाइंड टाइगर मेमन के भाई याकूब के वकीलों ने अदालत में दलील थी कि वह सिर्फ धमाकों की साजिश में शामिल था न कि धमाकों को अंजाम देने में। इस मामले में विशेष टाडा कोर्ट ने 10 अन्य दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया।
