नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह रेप कांड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को लेकर केंद्र और बिहार सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप काडं में अब तक 34 बच्चियों के साथ बलात्कार की पुष्टि हो गई है. वहीं, आज मुज़फ़्फ़रपुर के शेल्टर होम में 34 लड़कियों से बलात्कार के विरोध में लेफ़्ट पार्टियों ने आज बिहार बंद बुलाया है. आरजेडी, कांग्रेस समेत कई दूसरे दलों ने इस बंद का समर्थन किया है. बंद के दौरान कई जगहों पर प्रदर्शनकारी चक्का जाम और रेल रोकते दिखे. सुप्रीम कोर्ट इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में बच्चियों की तस्वीर चलाने पर नाराजगी जताई है. कोर्ट ने कहा कि मोरफेड तस्वीर भी मीडिया नहीं चलाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह से रेप पीड़ित बच्चियों की तस्वीर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडियापर चलाने और रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िताओं के इंटरव्यू पर भी मीडिया को फटकार लगाई है और कहा कि सबको सिर्फ इंटरव्यू चाहिए, किसी को पीड़िताओं की चिंता नहीं. आज गुरुवार को मुजफ्फरपुर कांड के विरोध में बिहार में लेफ्ट पार्टियों ने बंद बुलाया है. पटना के डाक बंगला चौराहा पर बंद समर्थक अपना प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी गिरफ्तारी दे रहे हैं. इनकी मांग है कि सीबीआई की जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में हो. बता दें कि इस बिहार बंद को राजद और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है. बता दें कि बीते दिनों दिल्ली के बिहार भवन के बाहर भी लोगों ने प्रदर्शन किया था. बता दें कि बीते दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका गृह में बच्चियों से बलात्कार के मामले में सीबीआई ने राज्य सरकार के अनुरोध और भारत सरकार की सिफारिश के बाद पर केस दर्ज कर लिया. मामले में मुजफ्फरपुर स्थित साहू रोड में बालिका आश्रय गृह के अधिकारियों और कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया है.सीबीआई ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह के अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आरोप है कि ये अधिकारी और कर्मचारी सेवा संकल्प एवं विकास समिति नाम से संचालित बालिका गृह की बच्चियों का ये अधिकारी शारीरिक, मानसिक रूप से शोषन करते थे. बिहार की नीतीश कुमार सरकार ने मुजफ्फरपुर जिला स्थित एक बालिका गृह की बालिकाओं के यौन उत्पीड़न मामले की जांच सीबीआई से कराने के आदेश दे दिये थे. बता दें कि बीते दिनों सरकार की ओर से उसमें कहा गया कि भ्रम का वातावरण नहीं रहे, इसलिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और गृह विभाग के प्रधान सचिव को तत्काल इस मामले की जांच सीबीआई के सुपुर्द करने का निर्देश दिया. मामले की तहकीकात निष्पक्ष ढंग से हो, इसके लिए विपक्ष इसकी जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में सीबीआई से कराने की मांग कर रहा था.
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