पटना, 25 नवम्बर 2017 :- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने आज बिहार विरासत विकास समिति एवं विश्व भारती विश्वविद्यालय शांति निकेतन के संयुक्त तत्वावधान में लखीसराय जिले के लाल पहाड़ी (जयनगर) में पुरातात्विक उत्खनन कार्य का शुभारंभ किया। लाल पहाड़ी पर बने हेलीपैड पर मुख्यमंत्री का जिला प्रशासन द्वारा अगवानी की गई। स्वागत के बाद मुख्यमंत्री को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया।
मुख्यमंत्री ने कुदाल से लाल पहाड़ी पर खुदाई कर किया कार्य का शुभारंभ
मुख्यमंत्री ने कुदाल से लाल पहाड़ी पर खुदाई कर एवं निर्मित दीवार के ईंट की स्क्रेपर से सफाई कर कार्य का शुभारंभ किया। खुदाई के शुभारंभ से संबंधित लगे शिलापट्ट का अनावरण नारीयल फोड़कर करने के बाद मुख्यमंत्री ने लाल पहाड़ी का मुआयना भी किया। मुआयना के क्रम में ही पुरातत्ववेता प्रोफेसर अनिल कुमार से मुख्यमंत्री ने लाल पहाड़ी पर बनी गुफा और वहॉ अवस्थित मंदिर में 10वीं एवं 11वीं सदी के मूर्तियों के संबंध में जानकारी ली। पहाड़ी के अंतिम छोर तक बारीकियों से मुख्यमंत्री ने मुआयना किया। लाल पहाड़ी पर बने मंदिर में लगी मूर्तियों को देखकर मुख्यमंत्री ने कहा कि मूर्ति देखने से लगता है कि पालकालीन मूर्तियॉ हैं।
कृमिला एक विस्मृत शहर से संबंधित लगे पोस्टर का मुख्यमंत्री ने विस्तृत अध्ययन किया
कार्यक्रम स्थल पर कृमिला एक विस्मृत शहर से संबंधित लगे पोस्टर का मुख्यमंत्री ने विस्तृत अध्ययन किया, जिसमें कृमिकला, हरोहर और गंगा के संगम पर अवस्थित कृमिला शहर की कई महत्वपूर्ण जानकारियॉ उल्लेखित थीं। कार्यक्रम स्थल पर ही लखीसराय जिले के दर्शनीय एवं ऐतिहासिक स्थलों से संबंधित लगे चित्र प्रदर्शनी का भी मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया, जिसमें बिछवे हिल, ब्लैक बेसाल्ट स्टोन सीट, घोसी कुंडी, कॉइन ऑफ बाजीराव शिंदे जयनगर, ब्राह्मणकालीन स्कल्पचर, सरसंडा हिल, वोटिवे स्तूप जैसी महत्वपूर्ण स्थलों की इस प्रदर्शनी में तस्वीर लगी हुई थी। मुख्यमंत्री ने चित्र प्रदर्शनी के अवलोकन के उपरान्त लखीसराय में संग्रहालय है अथवा नहीं। जानकारी दी गयी कि 1984 तक यहॉ संग्रहालय था, किन्तु बाद में उसे जमुई शिफ्ट कर दिया गया। प्रधान सचिव कला, संस्कृति श्री चैतन्य प्रसाद ने बताया कि लखीसराय में भूमि चिह्नित कर संग्रहालय निर्माण की योजना है। मुख्यमंत्री ने चित्र प्रदर्षनी में रखे कलाकृतियों को देखकर निर्देष दिया कि इसे लखीसराय में ही कोई जगह चिह्नित कर कलाकृतियों को संरक्षित करें।
लखीसराय का बढ़ेगा और भी महत्व।
उल्लेखनीय है कि लखीसराय शहर के जयनगर स्थित लाल पहाड़ी की खुदाई शुरू होने से न केवल इतिहास के कई अध्याय खुलेंगे बल्कि पुरातात्विक दृष्टि से लखीसराय का महत्व और भी बढ़ेगा। साथ ही आने वाले दिनों में अपने समृद्धशाली इतिहास में नया अध्याय भी जोड़ेगा। इस खुदाई में निकलने वाले अवशेषों का अकादमिक डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा। इसे संग्रहालय में संरक्षित भी कराया जाएगा। 7 अक्तूबर 2017 को कला-संस्कृति विभाग के अंतर्गत बिहार विरासत विकास समिति (बी0एस0डी0एस0) और पश्चिम बंगाल के शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के बीच इस कार्य के लिए एम0ओ0यू0 पर सहमति बनी थी। इसके लिए विश्व भारती विश्वविद्यालय से 10 से 12 पुरातत्व विभाग के अध्यवेताओं की टीम लखीसराय पहुंची है। कला एवं संस्कृति विभाग के प्रधान सचिव चैतन्य प्रसाद एवं जिलाधिकारी लखीसराय को मुख्यमंत्री ने पुरातात्विक स्थल एवं मूर्तियों के अवलोकन करने के साथ ही इसके संरक्षण के समुचित प्रबंध का निर्देश भी दिया। दैता बांध के मूल रुप में पुनः बहाल करने का जिलाधिकारी को निर्देश दिया।
लाल पहाड़ी के अवलोकनोपरान्त मुख्यमंत्री ने पहाड़ी से नीचे लोगों की भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन किया।
कई मंत्री और अधिकारी भी थें उपस्थित
इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री श्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह, संसदीय कार्य मंत्री श्री श्रवण कुमार, श्रम संसाधन मंत्री श्री विजय कुमार सिन्हा, कला, संस्कृति एवं युवा कार्य मंत्री श्री कृष्ण कुमार ऋषि, सांसद श्रीमती वीणा देवी, प्रधान सचिव कला, संस्कृति श्री चैतन्य प्रसाद, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री चंचल कुमार, मुंगेर प्रमंडल आयुक्त श्री राजेश कुमार, पुलिस महानिरीक्षक श्री सुषील खोपड़े, पुलिस उप महानिरीक्षक मुॅगेर श्री विकास वैभव, जिलाधिकारी लखीसराय श्री अमित कुमार, पुलिस अधीक्षक लखीसराय श्री अरविंद ठाकुर सहित ए0एस0आई0 एवं कला, संस्कृति के वरीय अधिकारीगण एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थें।
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