मिथिला की गौरवशाली अतीत के साथ कुसहा बाढ़ का दर्द है मैथिली फ़िल्म “लव यू दुल्हिन”

विश्व की मधुरतम भाषाओं में से एक अति प्राचीन एवं समृद्ध साहित्य के संग जनक नंदनी भगवती सीता की भाषा मैथिली, समूचे उत्तर बिहार के संग नेपाल की द्वितीय भाषा है। कुल 6 करोड़ से अधिक भाषा -भाषियों की इस बोली का अपना माधुर्य एवं भाषाई चमत्कार है जो किसी को भी अपनी और आकृष्ट करने में पूर्ण सामर्थ्यवान है। जहाँ सुबह और शाम ,दोनो संगीत की दो पृथक पृथक शैलियों के संग पूर्ण होती है। वैज्ञानिक कसौटियों पर खड़ी उतरती यँहा के लोक पर्व एवं परम्परा वर्तमान को कई अनुसंधान हेतु जमीन प्रदान करने में सक्ष्म है। ये इस भाषा का चमत्कार ही है जो भगवान शिव के उगना रूप में विद्यापति के यँहा नोकर के रूप में काम करने की कथा लोक कथाओं के माध्यम से सुनाती है, । विद्यापति – नागार्जुन, लोरिक, अयाची, मंडन मिश्र, वाचस्पतिमिश्र आदि सेकड़ो नायक यँहा विभिन्न कथाओं पर फ़िल्म की पटकथा सुलभ करते हैं , लेकिन श्री राम जानकी फिल्म ने अतीत के गीत से महत्वपूर्ण वर्तमान की चुनौती को ध्याम में रखते हुए , सम्पूर्ण मिथिला की मूल समस्या ,बाढ़ पर समाज एवम सरकार का ध्यान आकृष्ट करने को प्राथमिकता दी। 2008 में आई कुसहा बाढ़ की त्रासदी के नाम से भी आप जानते हैं , जब कोशी नदी ने प्रलय मचाने के लिये तांडव किया था, इसी विषय को फैमिली ड्रामा के माध्यम से प्रस्तुत करती फ़िल्म लव यू दुल्हिन एक अजीब सी सवेंदनात्मक ऊर्जा का संचार करती है।निर्माता श्री विष्णु पाठक एवं श्री रजनीकांत पाठक का मानना है कि अपनी मातृभाषा को अगली पीढ़ी तक हस्त्रान्तरन करने में विफल व्यक्ति अगले जन्म में मूकबधिर पैदा होता है, तो ना सिर्फ पाठक बंधु अपने अगिले पीढ़ी को मैथिली सीखा रहे हैं बल्कि इसका विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध दिखते हैं। तभी तो फ़िल्म में प्रयुक्त भाषा मैथिली के भौगोलिक क्षेत्र को व्यापक एवम पूर्णतः स्पष्ट करता है । आपको बता दे कि मिथिला की वर्तमान भौगोलिक परिदृश्य से बड़ा अतीत का मिथिला था। यही नही बल्कि समाजवाद का सबसे बड़ा सबूत भी मिलता है जहां डोम को भी राजा की उपाधि थी। श्री राम जानकी फ़िल्म्स ने फुल कॉमर्शियल फ़िल्म लव यू दुल्हिन के निर्माण करवाया है। भोजपुरी फ़िल्म के चर्चित निर्देशक श्री मनोज श्रीपति के निर्देशन में बनी इस फ़िल्म में मिथिला के सुप्रसिद्ध गायक विकास झा ने एवम सुर संग्राम विजेता आलोक ने अभिनय किया है ,जिन दोनो का बिहार में अपना बाजार है , जबकि नायिका प्रतिभा पांडे एवम इंनु श्री ने फ़िल्म को पूर्ण ग्लैमरस बना दिया है। फ़िल्म में सम्पूर्ण बिहार के सबसे लोकप्रिय संगीतकार धनंजय मिश्रा ने संगीत दिया है जिनके नाम सैकड़ो हीट गीत है, जबकि कई गायकों को अपने गीत से स्थापित कर चुके गीतकार सुधीर कुमार एवं विक्की ने फ़िल्म में गीत लिखा है, कल्पना , इंदु सोनाली ,विकास झा, देवानन्द झा, आलोक के स्वर फ़िल्म के म्यूजिकल हिट की गारन्टी देती है, वंही अमित कश्यप, विजय मिश्र, भूमिपाल राय, शुभनारायन झा ,संजय सिंह सारथी का अभिनय फ़िल्म के कई डायलॉग को सदा के लिये अमर करने का दम रखती हैं,। टेक्निकली साउंड , म्यूजिकल मस्त, सवेंदनात्मक पटकथा एवं सुच्चा अभिनय इस फ़िल्म के संग मैथिली फ़िल्म का बाज़ार तैयार करने में सामर्थवान दिखती है।

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