रिपोर्ट-अभिषेक कुमार सिंह
पटना:-हमारी सरकारें और लोगों का यही सपना है कि भारत दुनिया में एक ऐसी शक्ति बनकर उभरें कि सब देखते रह जाए। भारत इसके लिए प्रयास भी कर रहा है। देश में महिला तथा पुरूषों को समान अधिकार है लेकिन ऐसा हो जरूरी नहीं। भले ही हमारा समाज सदियों से लड़कियों को देवी की रूप में पूजता आ रहा हो । हिन्दू समाज में अधिकांश पर्व देवी पर ही आधारित है । लेकिन कुछ लोग अभी भी लड़के को ही लड़की से बेहतर मानते हैं । ऐसी ही भ्रांतियों को दूर करने के लिए सरकार ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान चला रही है और इसी अभियान को सार्थक करने के लिए बिहार की बेटी चंदा ठाकुर लगातार संघर्ष कर रही हैं।
वैशाली, बिहार की रहने वाली चंदा ठाकुर लगातार महिलाओं पर हो रहे उत्पीड़न, महिला स्वास्थ और बाल विवाह को लेकर लगातार आवाज़ उठाती है । अपने इस संघर्ष और अभियान के बारे में चंदा बताते हुए भावुक हो जाती है । वो कहती है याद है मुझे महज मैं जब बारह वर्ष की थी। लड़को के साथ कंचे, हॉकी, क्रिकेट खेला करती थी। इसलिए किसी ने मुझे उस छोटी सी उमर में ही चरित्रहीन का प्रमाण पत्र दे दिया था। मैं खूब पढ़ने लगी लेकिन फिर समाज के कुछ ऐसे चीज़ों से रुबरु हो गयी जो बस कुछ अजीब सी थी। छोटी उम्र में ही इस ज़िन्दगी ने कुछ ऐसे दृश्यों से सामना करा दिया जो अकल्पनीय है।
मेरे स्कूल की दो तीन बच्चियों की शादी हो जाना। साल दो साल में दो तीन बच्चे और फिर उन लड़कियों का कंकाल शरीर!! आह! कितना दयनीय दृश्य था वो! आज भी इस मन को रूह झकझोर देता है। सोचा क्यों न मैं लोगो को जागरूक करूं? लेकिन भई…लोग क्यों भला मेरी बातों को मानने लगे? फिर सोची क्यों न एक समूह बना लूं ? फिर उन दिनों गांव में काम कर रहे एक गैरसरकारी संस्था प्लान आईडीएफ के द्वारा चलायें जा रहें बाल समूह की सदस्य बन गयी। हमने काफी जागरूकता फैलाने के साथ कई शादियों को भी रोका ।
चंदा के इस हौसले से भरे काम को देखकर इंटरनेशनल डे फॉर गर्ल चाइल्ड के मौके पर एक दिन के लिए अमेरिका की राजदूत का पद संभालने का मौका मिला। चंदा के काम से प्रभावित होकर उनके पद चिन्हों पर चलने के लिए बिहार की अनेकों लडकियां तैयार हैं। UNICEF से जूड कर बतौर फील्ड ऑफिसर काम करने वाली चंदा पटना के ‘इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट फाउंडेशन’ के साथ जुड़ कर बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं ।
चंदा अपने पढ़ाई के साथ-साथ सामाजिक कार्यो का निर्वाहन भी चंदा बखूबी करती हैं। महिलाओं और बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के साथ-साथ चंदा ठाकुर समय-दर-समय बाल विवाह,लिंग भेद-भाव के खिलाफ आवाज उठाते रही है। इसके साथ ही वो किशोरियों के बीच मासिक स्वास्थ्य और एनीमिया के प्रति जागरूकता अभियान भी चला रही हैं। पिछले दिनों पटना में चंदा के इन उत्कृष्ट कार्यो को देखकर भारत सरकार की केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा सम्मान भी दिया गया । बिहार पत्रिका चंदा के इस कार्य के लिए शुभकामना देता है ।