युनाईटेड फोरम आॅफ बैंक यूनियन्स (यू0एफ0बी0यू0) ने 28 फरवरी को आयोजित बैंक हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान बैंक अधिकारियों एंव कर्मचारियों से किया है। दस लाख बैंक कर्मचारियों-अधिकारियों, पाॅच कामगार यूनियनों एंव चार अधिकारी संघों का प्रतिनिधित्व करता है यू0एफ0बी0यू0।
आॅल इन्डिया बैंक आफिसर्स कन्फेडरेशन (ए0आई0बी0ओ0सी0) के सीनियर वाईस प्रेसिडेन्ट सुनील कुमार ने कहा कि आम जनता व श्रम शक्ति के हितों की रक्षा करने के लिए केन्द्र सरकार गठित बैंक समूह आई0बी0ए0 असफल है। श्रम कानूनों में संशोधन निजी और विदेषी निवेशकों को आगे आने के लिए माहौल बनाया जा रहा है, वहीं ट्रेड यूनियनों के अधिकारों को अनदेखा किया जा रहा है। बैंकों के बोर्ड में प्रतिनिधित्व के अधिकार स्थायी नौकरियों को आउटसोर्स करने के लिए बैंकिंग उद्योग को जोखिम में डाला जा रहा है। यू0एफ0बी0यू0 जनविरोधी बैंकिंग श्रम सुधारों का विरोध कर रहा है। सरकार के अनुमोदन के बावजूद अनुकम्पा नियुक्ति योजना, पाॅच दिनो की कार्यावधि, पारिवारिक पेंशन, सेवानिवृति लाभ से संबंधित मुद्दों का निपटारा अभी तक नही होना दुर्भाग्यपूर्ण है। ग्रेच्युटी पर लगे सीलिंग, सेवानिवृत लाभ को आयकर से मुक्त करने, पेंषन सुधार के लिए गठित बोर्ड में कर्मचारी-अधिकारी संवर्ग से निदेशक की नियुक्ति पर भी कोई सार्थक कारवाई नही होने से बैंककर्मियों में रोष व्याप्त है।
श्री सुनील कुमार ने कहा कि नोटबंदी एंव विमुद्रीकरण के दो महीने की अवधि में बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों ने छुट्टी के दिन भी घंटों कार्य कर अद्वितीय उदाहरण दिया है। इस कार्य में किसी तरह की क्षतिपूर्ति सरकार को नही देनी पड़ी है। आज बड़े-बड़े काॅरपोरेटर को कर्ज दिलवाकर सरकार ने वसूली के लिए कोई सार्थक नियम नही बना पायी। इस कारण बैंको को हानि उठानी पड़ रही है। कर्ज वसूलने में सरकार के पास कोई ठोस कानून नही है। सरकार को इसके लिए जवाबदेही तय करने की जरूरत है। यू0एफ0बी0यू0 सभी बैंक अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ आम जनता से नैतिक समर्थन देने तथा 28 फरवरी को बैंक हड़ताल को सफल बनाने की अपील की है।