बेबाक पत्रकार विनायक विजेता आठवीं बार हुए सम्मानित

fb_img_1475633062339पटना । वर्त्तमान दौर में बिहार की अपराध  पत्रकारिता के सबसे शफ्फाक और बेबाक कलमकार श्री विनायक विजेता को पुनः एक बार पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान और बेधड़क बेबाक बेलाग लेखन के लिए रविवार को एक और सम्मान प्राप्त हुआ है। महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर स्वामी सहजानंद सरस्वती विचार केन्द्र द्वारा आयोजित समारोह में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के हाथों विनायक जी को सम्मान-पत्र सौंपा गया। इस सम्मान को भी श्री विजेता द्वारा पूर्व की तरह एक विशेष घटना को क्रम को समर्पित कर अपने समाज और देश के प्रति लगाव को प्रदर्शित किया है। सम्मान प्राप्त होते उन्होंने अपने सम्मान को ‘उरि के शहीदों के नाम’ कर दिया है।

                               अपने पत्रकारिता जीवन की शुरुआत से विनायक जी ने सत्य से कभी समझौता नहीं किया है। अपने खोजपरक खबरो और घटना के तह तक जाकर सच को उजागर करने वाले इस अख्खड़ और फ़क़ीर कलमकार ने कभी खबरो से समझौता नहीं किया है। ना ही कभी किसी उपमा और उपनाम से अंलकृत किया है। पर समय गवाह है जब भी खबरो की खबर की चर्चा होती है विनायक विजेता एक सशक्त हस्ताक्षर साबित हुए है।
बिहार की ज़रखेज मिट्टी का सच लिखने वाला यह फकीरा आज भी बेधड़क सच को उजागर करने के मिशन में अपनी कलम की स्याही को किसी ख़ास रंग से रंगने को तैयार नहीं है।वरना तो इसी  राजधानी पटना में खुद को अपराध से जुडी खबरों के तथाकथित एनालिस्ट और अपराध विशेषज्ञ का  आडम्बर खड़ा कर ऐसे भी लोगबाग है जो दिन दिन ब दिन विशेष रंग की स्याही अपने कलम में भर कर कागज़ कारे कर अपने कलम और काया को मोटा कर चुके है और लगातार कर रहे है। साथ ही अन्य की मेहनत पर अपना डिजिटल क्रांति की नींव खड़ा करने का कुत्सित प्रयास कर रहे है।
खैर, आठवीं बार सम्मानित होना तो महज एक संख्या भर है श्री विनायक विजेता के लिए, पर असल पुरस्कार तो वो है जो उनकी कलम से सच के खुलासे के बाद लाखों निर्दोष आँखों से छलके आँसू और लबों से बेसाख़्ता निकली दुआएं है।

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