बेगूसराय के चर्चित समाजसेवी सुभाष ईश्वर कंगन की कलम से – भारत में रहना है तो भारत माता की जय कहना पड़ेगा

मित्रों जयकारा कार्यक्रम सदियों से चलता आ रहा है, मेरे गाँव में जब भी रामचरित्र मानस का पाठ होता है तो महाप्रसाद से पहले सेकरों दफा जयकारा लगाना पडता है। शर्म की बात तो ये है जिस भारत माँ का अन्न जीवन भर खाते हो उनके गोद में पलते हो उन माँ को जय कहने मे शर्माते हो।

मित्रों हमें अपने आचरण को समाज के सामने स्थापित करना है, मोदी जी का प्रभाव बढ़ा है। लेकिन प्रभाव से भी ज्यादा लोगों में विश्वास बढ़ा है, हमारे आचरण में राष्ट्रीयता का स्पष्ट परिचय देना होगा। अपने जीवन के उद्घोष में राष्ट्रीयता का बिल्कुल संकोच नहीं होना चाहिए।

हमारी संस्कृति का विचार संकुचित नहीं है। हम सर्वजन समाज को संगठित करना चाहते हैं। हमें तप,स्वाध्याय, शौर्य, धर्म के लक्षणों का पालन करते हुए और सभी को जोड़ते हुए समाज कल्याण पर विचार करना है।

इस विचार का बल हमें भारत माता से मिलता है। मेरे जीवन का मुख्य है बिमारी का इलाज, भुखे को भोजन और निर्बल को सबल बनाना है। मुझसे जुरे हर लोगों को अपने आचरण का उदहारण प्रस्तुत करना होगा तभी समाज में सभी कंठों से अपने आप जयकार फूटेगी “भारत माता की जय” यह हमको करना है।

यह हमारा व्यक्तिगत नहीं सामूहिक संकल्प है। विषम परिस्थिति में भी अपना धैर्य कायम रखते हुए कटुता मिटाते हुए आचरण करना है। किसानों को सुखी करने का संकल्प हमने लिया है। उसी ओर प्रयासरत रहना है। अनुकूलता इतनी है कि ऐसा हम आज करना प्रारंभ करेंगे तो निकट भविष्य में हम लोग ऐसे समाज का उदय और उत्कर्ष होते हुए देख लेंगे। हम सबको उस ओर बढ़ने की सदबुद्धि आज अपने संकल्प के स्मरण के कारण हो इतनी प्रार्थना के साथ में अपने लेखनी को समाप्त करता हूँ।

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