पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चल रहे सियासी सरगर्मी के बीच इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से समझौता नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि जब राजद विधानमंडल दल की बैठक के बाद अंतिम रूप से जय हो गया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्होंने खुद इस्तीफा दे दिया।
बिहार में राजनीतिक हलचल के बीच बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने आज राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से मुलाकात की। नीतीश कुमार ने राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। आज जेडीयू विधायक दल की बैठक हुई। जानकारी के मुताबिक इसी बैठक में नीतीश कुमार ने इस्तीफे का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने पार्टी विधानमंडल की बैठक 28 जुलाई को बुलाई थी, लेकिन राजद का रुख देखते हुए इसके समय में परिवर्तन किया। बुधवार शाम को हुई इस बैठक में मंत्रिमंडल भंग करने व नीतीश कुमार के इस्तीफे का फैसला लिया गया।
विदित हो कि सीबीआइ की एफआइआर में नामजद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर भाजपा ने विधानमंडल के मॉनसून सत्र को बाधित करने का अल्टीमेटम दिया था। जदयू ने भी कई बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही। उधर, राजद ने साफ कर दिया था कि तेजस्वी किसी भी स्थिति में इस्तीफा नहीं देने जा रहे हैं। ऐसे में उनके पास खुद इस्तीफा देने या तेजस्वी को बर्खास्त करने का विकल्प था।
इस्तीफा देने के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि उनसे जितना संभव हुआ, गठबंधन धर्म का पालन करते हुए जनता से किए वायदे पूरे करने के किए। हमने तेजस्वी का कभी इस्तीफा नहीं मांगा। लालू जी से बातचीत होती रही है। तेजस्वी भी मिले। हमने कहा कि जो भीद आरेाप लगे हैं, उसे एक्सप्लेन कीजिए। आम जन के बीच जो अवधारना बन रही है, उसके लिए यह जरूरी है। वो नहीं हुआ। राहुल जी से भी बात की। बिहार में भी कांग्रेस के लोग हैं, उनसे भी कहा। ऐसी परिस्थिति बनी कि काम करना संभव नहीं हो रहा था। हमने अपनी बात कह दी थी, अब उनको करना था। वहां अपेक्षा थी कि हम संकट में हैं तो हमारी रक्षा कीजिए। यह कोई संकट नहीं है, अपने आप बुलाया गया संकट है। जबतक चला सकते थे चला दिया, अब ये मेरे स्वभाव व काम करने के तरीकों के अनुकूल नहीं है। नोटबंदी का समर्थन किया तो न जाने क्या-क्या बात कही गई। हमने ही कहा था कि बेनामी संपत्ति पर कार्रवाई कीजिए। चर्चा हो रही थी कि नीतीश इस्तीफा नहीं देंगे, तेजस्वी को बर्खासत करेंगे। यह मेरे काम करने का तरीका नहीं है। मैंने खुद ही नमस्कार कर दिया।
बिहार में सरकार का समीकरण क्या है?
बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं जबकि सरकार बनाने के लिए 122 सीटें चाहिए। बिहार में जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस का महागठबंधन है। महागठबंधन के पास राज्य में जेडीयू की 71, आरजेडी की 80 और कांग्रेस की 27 विधायकों को मिलाकर 178 सीटें हैं। अगर नीतीश महागठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए में शामिल होते हैं तो जेडीयू की 71, बीजेपी की 53, आरएलएसपी और एलजेपी की 2-2 और हम की एक सीट को मिलाकर आंकड़ा 129 हो जाएगा जो बहुमत से सात ज्यादा है।
बीजेपी बाहर से समर्थन देने को तैयार
कुछ दिन पहले ही बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय ने बड़ा बयान दिया था। नित्यानंद राय ने कहा था कि अगर नीतीश कुमार तेजस्वी को बर्खास्त करते हैं और इससे सरकार पर संकट आता है तो बीजेपी नीतीश को बाहर से समर्थन देगी।