पटना- बिहार की जानी-मानी पटना यूनिवर्सिटी के साथ राज्य के कई विश्वविद्यालयों में छात्र संघ का चुनाव शनिवार को होने जा रहा है. छात्र राजनीति को क्षेत्रीय और राष्ट्रीय पार्टियां अपनी राजनीति को दिशा देने के लिए हमेशा से इस्तेमाल करती रही हैं. ऐसे में बिहार की छात्र राजनीति में भी क्षेत्रिय और राष्ट्रीय पार्टीयों का प्रभाव है. इससे पहले बिहार छात्र संघ का पिछला चुनाव 2012 में हुआ था. बिहार में छह साल बाद हो रहे छात्र संघ के चुनाव में शनिवार को पटना यूनिवर्सिटी के 19,000 छात्र वोट डालेंगे. चुनाव का परिणाम शनिवार रात तक घोषित किया जाएगा. छात्र संघ चुनाव को देखते हुए यूनिवर्सिटी के छात्र बेहद उत्साहित हैं.
छात्र राजद और एनएसयूआई का गठबंधन
इस चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस की छात्र इकाई ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. बिहार विधानसभा चुनाव के तर्ज पर आरजेडी की छात्र इकाई ‘छात्र राजद (सीआरजेडी)’ और कांग्रेस की छात्र इकाई ‘एनएसयूआई’ मिल कर राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में चुनाव लड़ेंगे. हालांकि प्रदेश की सरकार में गठबंधन के बावजूद जेडीयू और बीजेपी की स्टूडेंट विंग ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. वहीं छात्रों के मुद्दों पर विश्वविद्यालय प्रशासन और सरकार के खिलाफ सड़क पर उतर कर संघर्ष करने वाले वामपंथी छात्र संगठन आईसा और जेएनयू के कन्हैया कुमार की पार्टी एआईएसएफ दोनों मिल कर चुनावी लड़ रहे हैं. इस चुनाव में सेंट्रल पैनल के पांच पदों अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव और कोषाध्यक्ष पद के लिए शनिवार को वोट डाले जाएंगे. साथ ही कॉलेज और विभागों के रिप्रेजेंटेटिव भी चुने जाएंगे. सीआरजेडी ने अध्यक्ष और महासचिव के पद पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं. वहीं एनएसयूआई उपाध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के लिए चुनावी मैदान में है. वांमपंथी छात्र संगठन आईसा ने अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद पर अपनी दावेदारी पेश की है और कन्हैया कुमार की एआईएसएफ ने उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव पद पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं. वहीं एबीवीपी और जेडीयू की छात्र इकाई ने चुनाव में सभी पदों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं.
किसकी होगी जीत?
सभी पार्टियों की छात्र इकाई की ओर से अपनी अपनी जीत का दावा किया जा रहा है. लेकिन आखिरी फैसला तो छात्र ही करेंगे. लेफ्ट इस पूरे चुनाव में यूनिवर्सिटी प्रशासन को शिक्षा व्यवस्था के नाम पर घेरने की कोशिश कर रहा है. वहीं छात्र राजद और एनएसयूआई सरकार के खिलाफ हल्ला बोल कर चुनावी मैदान मारने की सोच रही है. इस बीच एबीवीपी ने भी छात्रों के मुद्दे को टटोला है. आम छात्रों की मानें तो लड़ाई छात्र राजद-एनएसयूआई गठबंधन और एबीवीपी के बीच है. अब शनिवार शाम देखना दिलचस्प होगा की पटना यूनिवर्सिटी के छात्र अपना प्रतिनिधि किसे चुनते हैं.