बिहार की बेटी के हौसले को सलाम, कुवैत छोड़ बिहार को बनाया कर्म भूमि

 

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अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट

सफल होने की चाह इंसान को सात समंदर पार ले जाती है सफल लोग कम ही अपनी जन्मभूमि का कर्ज उतारने वापस लौटत है.इस मिथक को तोड़ा है सफल महिला उ्द्धमी व फिल्म निर्मात्री साधना सिह ने।
साधना मूल रूप से बिहार के राघोपुर जिला वैशाली की है। इनकी शादी इंजीनियर राजेश कुमार सिंह ( हाजीपुर वैशाली ) से हुई है जो कुवैत मे सेटल है। साधन की स्कूली शिक्षा जमशेदपुर टाटानगर से है। विधि सन्नातकन & फ़ाईन आर्ट पढ़ाई की। इनका जन्म एक बड़े प्रतिष्ठत घराने में क्षत्रिय परिवार में हुआ। बचपन सुखद बिता जो चाहे वो मिला .. एक आधुनिक विचार वाले माता पिता दादा दादी के बीच पालन पोषण हुआ… कोर्ट कचहरी पसन्द नहीं आया और वकालत छोड़ दिया इन्होने… और कला के तरफ़ रूख मोड़ दिया. कैमरे के साथ रहना और पेंटिंग करने में कब सुबह हुई और शाम पता ही नहीं चला … दयालु स्वभाव होने के कारण लोगों को सहायता करना बहुत अच्छा लगता था , लेकिन लोगों की सहायता करने के लिए धन की ज़रूरत पड़ी तब अपने कला को उद्योग में परिवर्तन कर दी और मुख व्यवसाय फ़िल्म मेकिंग और फ़ैशन .को बनाया. आज पेरिस कुवैत नागपुर और पटना में फ़िल्म और फ़ैशन दोनो उद्योग चल रहा है … और उसी पैसे से आज इनका दो NGO और ट्रस्ट चल रहा है … साधना का सोचना है पैसा आएगा नहीं तो पैसे बाटूँगी कैसे … इसीलिए जी तोड़ मेहनत करती हूँ … और उस पैसे से ख़ूब आनंद लेकर ज़रूरत मंद की सहायता करती हूँ ।दर्जन भर हिन्दी अँग्रेजी व क्षेत्रिय भाषा की फिल्मों का निर्माण कर चुकी साधना बिहार को पूरी तरह से अपनी कर्म भूमि बना चुकी है।इनका सरल व्यवहार इन्हे भीड़ से अलग करता है।

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