बिहार के नियोजित शिक्षको को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने उन्हें समान काम के बदले समान वेतन देने नही देने के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी है। इस फैसले से बिहार के लगभग साढ़े तीन लाख नियोजित शिक्षकों को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें नियमित करने के आदेश के खिलाफ अपील स्वीकार कर ली है।
राज्य में मौजूद करीब पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों में लगभग तीन लाख 19 हजार शिक्षक प्रारंभिक शिक्षक हैं। इसमें 66 हजार शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार पूरी तरह से अपने मद से देती है। जबकि, दो लाख 53 हजार शिक्षकों का वेतन एसएसए (सर्व शिक्षा अभियान) के माध्यम से दिया जाता है।
इनके वेतन में 60 फीसदी रुपये केंद्र और 40 फीसदी रुपये राज्य सरकार देती है। सिर्फ नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर अभी राज्य सरकार करीब 11 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है। इसके अलावा केंद्र से भी 22-23 हजार करोड़ रुपये सैलरी समेत अन्य कार्यों के लिए एसएसए के अंतर्गत राज्य को प्राप्त होते हैं।
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