बाद प्रभावित व्यक्तियों के लिए राहत एवं बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जाऱी, जिले में 40 राहत शिविरों का संचालन शुरु

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बेतिया से सत्येन्द्र पाठक

बेतिया। प0 चम्पारण जिला कं कई प्रखण्डो में बाढ़ आई हुई है। जिसके चलते सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बाढ के कारण सडको के कई जगहों से टूट जाने के कारण आवागमन भी बाधित है। जिला प्रशासन द्वारा बाढ में फ़से व्यक्तियों को सुरक्षित बाहर निकालकर राहत शिविरों में रखा गया है। अबतक जिले में कुल 40 राहत शिविरों का सचालन’ शुरु हो गया है। राहत शिविरों में रह रहे व्यक्तियो को पका हुआ भोजन, दवा आदि मुहैया कराया जा रहा है। बाढ से मनुष्यों वो साथ-साथ पशु भी प्रभावित हुए है। इसके लिए कई स्थलों पर मवेशी/पशु शेड की स्थापना की गयी है और पशुओं को चारा वगैरह उपलध कराया जा रहा है। राहत शिविरों में कुल 22,712 लोगों के रहने का प्रतिवेदन आपदा शाखा बेतिया में प्राप्त हुआ है। आपदा शाखा में प्राफ्त सूचनानुसार बाढ़ से कुल 186 पचायत प्रभावित हुए है। जिसमें 85 पंचायत पूर्ण प्रभावित हैं। बाढ से 7.69 लाख की आबादी पर बुरा प्रभाव पड़ा है। कुल 75 क्रच्चे/पक्के मकानों कर पूर्ण रुपेण क्षतिग्रस्त होने का अनुमान है। 202 झोंपडी भी बाढ में क्षतिग्रस्त हुए हैं। राहत एवं बचाव कार्य चलाने हेतु देशी नावों एवं मोटरवोट का उपयोग किया जा रहा है। एन.डी.आर.एफ./एसडी.आर.एफ़. की तीन टीमे 12 मोटरबोट के साथ बाढ मे फसे लोगों को बाहर निकालने का कार्य कर रहे है। यहीं सेना की टुकडी भी बचाव कार्य में लगायी गयी है। आज समाहरणालय समा कक्ष में प्रधान सचिव, वन एवं पर्यावरण विमाग-सह-जिला प्रभारी सचिव. विवेक कुमार सिह, आयुक्त, दरभंगा-सह-तिरहुत प्रमंडल आरके खण्डेलवाल द्वारा जिला में चलाए जा रहे राहत एवं बचाव कार्य की समीक्षा की गयी। इस समीक्षा बैठक में डीआईजी अनिल शुमार सिह, जिला पदाधिकारी, पश्चिम चंपारण डॉ. निलेश रामचन्द्र देवरे, पुलिस अधीक्षक, बेतिया विनय कुमार सहित जिला के पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता आदि उपस्थित थे।

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प्रभारी सचिव, श्री सिह’ ने जिला के पदाधिकारियों को आपदा की इस घडी. मे पूर्ण मानवीय संवेदना के साथ बाढ पीडितों को हर संभव सहायता पहुंचाने का निदेश दिया। उन्होने’ कहा कि जिस किसी गाँव के कोई भी व्यक्ति अभी भी बाढ़ में फसे हुए हैं। उन्हें तुरन्त सुरक्षित बाहर निकाल कर शरण स्थलियों में लायी जाए और उन्हे’ भोजन, पानी, दवा आदि उपलब्ध कराया जाए। उन्होने’ कहा कि जिन गाँवो का सम्पर्क टूट गया है और उन लोगो से कोई संवाद स्थापित नहीं हो पाया है। प्रशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर उन गाँवों को सहायता पहुँचानी है। इसके लिए व्यक्ति संचार नेटवर्क मददगार हो सकता है। स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्रियों का भरपूर इस्तेमाल किया जाना भी उचित होगा। उन्होने’ कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों में पूर्व से पोषाहार वितरण की व्यवस्था होती रही है। इसलिए आगनबाडी केंद्रों के माध्यम से सामुदायिक रसोईघर का संचालन तुरन्त शुरु किया जाए। इस कार्यं को क्रियान्वित्त किए जाने की जवाबदेही डीपीओ. (आईसीडीएत्त) सीडीपीओ की होगी। बाढ़ प्रभावित लोगों से संवाद स्थापित करने के लिए सचार तन्त्र भी विकसित किए जाए। बाढ के कारण जहा’ पर सडकें टुट गयी है। उसका आकलन कर इसकी मरम्मति की तैयारी अभी से शुरु कर दी जाए। बैठक में उपस्थित आयुक्त, श्री खण्डेलवाल ने कहा कि आपदा के समय में अफवाहे भी फैलाने की कोशिश की जाती है। इसके चलते कभी…कभी नुकसान भी हो जाता है। इसलिए अफवाहों को रोकने के लिए संचार तंत्र को विकसित करके लोगों से फीडबैक लेने का मैंकेंनिजम डेवलप किया जाए। जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी प्रिंट’ एव इलेवट्रोनिक मीडिया के माध्यम से अफवाहों पर रोक लगा सकते हैं। उन्होने कहा कि मीडिया को निरन्तर सही सूचनाएँ, राहत एवं बचाय कार्यं की अद्यतन जानकारी उपलध करायी जाए। प्रधान सचिव ने कहा कि राहत एवं बचाव कार्य चलाने में विधि…-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने की सम्भावना रहती है। इसलिए राहत शिविरो पर पर्याप्त सख्या’ में पुलिस बलों की तैनाती किया जाए एवं पूरे जिले में सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित किया जाए। जिला पदाधिकारी डॉ. द्रेवरे द्वारा प्रधान सचिव आयुक्त महोदय को आश्वस्त किया गया कि जिला प्रशासन पश्चिम चम्पारण आपदा की इस घडी में हर व्यक्ति तक मदद लेकर पहुंचने हेतु दृड़ सकल्पित’ है। बाढ राहत कार्य चलाने हेतु विस्तृत कार्य योजना बनायी गयी है और उस पर अमल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस कार्य में काफी सफ़लता मिल रही है तथा काफी लोगों को बचाया गया है।

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