पटना-बिहार में दवा की अच्छी खासी खपत होती है यूपी के आगरा के बाद बिहार के पटना स्थित गोविंद मित्रा रोड एशिया के सबसे बड़े दवा बाजार के रूप में जाना जाता है लेकिन हैरान करने वाली यह बात है कि यहां पर बिकने वाली अधिकतर दवाइयां नकली (रैपर बदली हुइ)पाई जाती है बिहार में तकरीबन प्रतिदिन एक करोड़ रुपए की नकली दवाइयों का कारोबार होता है जब कोई ड्रग इंस्पेक्टर आवाज उठाता है तो या उसके मुंह पर पैसा मार दिया जाता है और यदि वह नहीं बिकता है तो उसका ट्रांसफर करा दिया जाता है ऐसे में देश के आम नागरिक और गरीबों के लिए बेहद दुखद ही तो यह होती है कि अपनी एक-एक मेहनत की कमाई संयोजित कर व्यक्ति अकास्मिक परिस्थिति में यदि दवा खरीदने जाता है और दवा विक्रेता को दवा की पूरी कीमत भुगतान करता है दवा लाकर मरीज को देता है और मरीज पर दवा का कोई असर नहीं होता और मरीज भगवान को प्यारा हो जाता है मैंने पटना मेडिकल कॉलेज मैं इस बाबत जागरूकता के उद्देश्य से सैकड़ों बार आम जनता से बातचीत करने का सोचा तो जनता का सीधा सवाल था कि हम कैसे जाने की दवा नकली है और हमारा क्या दोष है कि हमें पैसा देने के बाद भी नकली दवा मिल रही है दवा माफिया के चुंगल से सरकार कब आजाद होगी और कब बिहार के डॉक्टर इस मसले को समझेंगे और इस पर गहनता से विचार करेंगे आखिर गरीब जनता तो सरकार के कमीशन के चक्कर में मरेगी।
पढ़िए: कैसे नकली दवा का बाज़ार बन रहा पटना…..
