‘पीएम ही कर सकते हैं मुझे मंत्रिमंडल से बर्खास्त’, ‘बाकी किसी के करने से कुछ नहीं होगा’- उपेन्द्र कुशवाहा.

पटना: रालोसपा प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने कहा कि मई महीने तक अभी मैं केन्द्रीय राज्य मंत्री हूं। नीतीश कुमार की सरकार के भी दो साल बाकी हैं। मेरे सुझाव मानने के लिए यह काफी समय है। इसी के साथ उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली चुनौती दी कि वह मेरे साथ शिक्षा के मसले पर खुली बहस कर लें। इस दौरान सीएम अपने अधिकारियों को भी साथ रखें। उसके बाद जो आरोप हम पर जदयू नेता और सरकार के मंत्री लगा रहे हैं, उसका जवाब उन्हें भी मिल जाएगा और जनता को भी। रालोसपा प्रमुख सोमवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस से बात कर रहे थे। प्रेसवार्ता में कोई राजनीतिक सवाल तो उन्होंने ने नहीं लिया लेकिन इतना कहकर बड़ा संकेत दे दिया कि ‘राजनीति में जो मजा इंतजार में है वह पाने में नहीं। आप इतनी जल्दी क्लाइमेक्स पर क्यूं पहंुचना चाहते हैं। ’ उन्होंने कहा कि राज्य के शिक्षा मंत्री कहते हैं कि हम अंतिम समय में सुझाव दे रहे हैं। मैंने तो सवा साल पहले गंाधी मैदान में 25 सूत्री मांगे रखी थी। मैंने हर जिले में केन्द्रीय विद्यालय का प्रस्ताव राज्य सरकार से मांगा था। देशभर से सैकड़ो प्रस्ताव आये, बिहार से सिर्फ देव और नवादा के लिए दो प्रस्ताव। वह भी मेरे काफी मेहनत के बाद। नवस्वीकृत अधिसंख्य केन्द्रीय विद्यालयों में पढ़ाई शुरू हो गई। बिहार के दोनों स्कूलों को केन्द्र की मंजूरी के बाद भी जमीन नहीं मिली। इसके खिलाफ आठ दिसम्बर को देवकुंड और नौ को नवादा में मेरी पार्टी ने उपवास कार्यक्रम रखा है। मंत्री रहते हुए मैं भी उसमें भाग लूंगा। रालोसपा प्रमुख ने कहा कि बिहार में शिक्षा के दो ही मॉडल हैं। एक लालू प्रसाद का चरवाहा स्कूल मॉडल और दूसरा नीतीश कुमार का नालंदा मॉडल। जदयू के 15 साल की सरकार के बाद लालू प्रसाद से अब कोई नहीं पूछेगा। नालंदा मॉडल में ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें सौ तक गिनती भी नहीं आती है। ऐसे छात्र टॉप करते हैं जिन्हें शून्य अंक आता है। रालोसपा ऐसे मॉडल को ध्वस्त कर प्राचीन नालन्दा मॉडल लागू करने का पक्षधर है।

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