पाटलिपुत्र संग्राम – चाचा-भतीजी की तकरार और बीच में एक भूमिहार

पटना से अनूप नारायण सिंह

भाजपा राजद में कड़ी टक्कर के बीच भूमिहार समाज के आर के शर्मा भी

बिहार के हाईप्रोफाइल लोकसभा क्षेत्र के रूप में चर्चित पाटलिपुत्र लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के रामकृपाल यादव के सामने राजद की मीसा भारती चुनौती प्रस्तुत कर रही हैं। चार लाख से ज्यादा भूमिहार मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र से 15 सवर्ण संगठनों ने संयुक्त रूप से अरबपति रमेश कुमार शर्मा को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतारकर लड़ाई को काफी रोचक बना दिया है।

पाटलिपुत्र सीट राजद के लिए अभी एक अबूझ पहेली बना हुआ है राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और मीसा भारती इस सीट से चुनाव हार चुकी है। तमाम जातीय समीकरण राजद के पक्ष में होने के बावजूद भूमिहार मतों की निर्णायक भूमिका इस सीट पर हार और जीत का फैसला करती है। पाटलीपुत्र लोकसभा क्षेत्र देश के कुल 543 और बिहार की 40 सीटों में एक है।

यह सीट पटना जिले में पड़ती है। 2008 तक पटना में सिर्फ एक लोकसभा सीट हुआ करती थी लेकिन परिसीमन के बाद यहां दो सीटें हो गईं। एक पाटलीपुत्र (शहर के प्राचीन नाम पर आधारित) और दूसरी सीट पटना साहिब जहां से सिने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव जीतते रहे हैं। पाटलीपुत्र में तकरीबन साढ़े 16 लाख मतदाता हैं जिनमें 5 लाख यादव और साढ़े चार लाख भूमिहार हैं।

पाटलीपुत्र की विधानसभा सीटें

इस संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं। दानापुर, मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज और बिक्रम. इनमें फुलवारी और मसौढ़ी एससी आरक्षित सीटें हैं। दानापुर में पिछले दो विधानसभा चुनाव 2010 और 2015 से बीजेपी की उम्मीदवार आशा देवी जीतती आ रही हैं। जबकि मनेर सीट पर आरजेडी के प्रत्याशी भाई विरेंद्र 2010 और 2015 में जीते। फुलवारी से जेडीयू के नेता श्याम रजक विधायक हैं, जो कभी लालू यादव के खास हुआ करते थे। मसौढ़ी विधानसभा सीट पर फिलहाल आरजेडी का कब्जा है। यहां से रेखा देवी विधायक हैं। पालीगंज सीट भी आरजेडी के हिस्से में है और जयवर्धन यादव विधायक हैं। बिक्रम विधानसभा सीट कांग्रेस के पाले में है और सिद्धार्थ वहां से विधायक हैं। सीटों का गणित देखें तो यह पूरा इलाका आरजेडी का गढ़ है, लेकिन लोकसभा में पिछली बार बीजेपी नेता रामकृपाल यादव जीत कर आए जो कभी आरजेडी के बड़े नेता हुआ करते थे।

2009 और 2014 का संसदीय चुनाव

इस सीट पर 2009 में जदयू के रंजन प्रसाद यादव जीते जबकि 2014 में बीजेपी के राम कृपाल यादव विजयी रहे। रामकृपाल यादव ने आरजेडी छोड़कर बीजेपी का दामन थामा और बड़ी जीत दर्ज की। रामकृपाल यादव को 3,83,262 वोट मिले थे जो कुल वोट का 39.16 प्रतिशत था। उन्होंने आरजेडी प्रत्याशी और लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती को हराया। जिन्हें 3,42,940 (35.04 प्रतिशत) वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव रहे जिन्हें 97,228 वोट मिले। सीपीआईएमएल प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद को 51,623 वोट मिले थे।

साल 2009 का मुकाबला भी दिलचस्प हुआ था

साल 2009 का मुकाबला दिलचस्प था क्योंकि जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव ने लालू यादव को हराया था. रंजन प्रसाद को 2,69,298 (42.86 प्रतिशत) मिले थे जबकि लालू यादव को 2,45,757 (39.12 प्रतिशत) वोट मिले।

मीसा भारती फिर लड़ रही हैं चुनाव

पिछली बार की तरह इस बार भी मीसा भारती इस सीट से किस्मत आजमा रही हैं। मीसा फिलहाल राज्यसभा सांसद हैं और बिहार में कभी एमबीबीएएस की टॉपर छात्र रही हैं। उन्हें हराने वाले बीजेपी के राम कृपाल यादव केंद्र में ग्रामीण विकास मंत्रालय में जूनियर मंत्री हैं। रामकृपाल यादव ने पिछले चुनाव में टिकट न मिलने पर आरजेडी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था और मीसा भारती को चुनाव में हराया था।

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