पटना, 9 जून 2017। बिहार विधान सभा में लोक लेखा समिति के सभापति और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री नन्द किशोर यादव ने कहा कि बिहार में पिछले दो सालों से अधूरे पुलों और भवनों के उद्घाटन की परिपाटी शुरू हो गई है। इससे परियोजना की मजबूती पर भी सवाल उठ रहा है। उन्होंने कहा कि इस परिपाटी की शुरूआत स्वयं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी ने 21 जुलाई 2015 और 07 अगस्त 2015 को क्रमषः बेली रोड पर अधूरे बने फ्लाई ओवर और हड़ताली मोड़ के पास बन रहे अन्तर्राष्ट्रीय म्यूजियम का उद्घाटन कर की। उन्होंने कहा कि 2015 के अन्त में बिहार विधान सभा के चुनाव होने थे और मुख्यमंत्री को लग रहा था कि चुनाव आयोग किसी समय बिहार में चुनाव की घोषणा कर सकता है और ऐसे में आचार संहिता के लागू होने के डर से उन्होंने अधूरे पुल और म्यूजियम का उद्घाटन कर दिया।
श्री यादव ने कहा कि जब बिहार सरकार के मुखिया ने परिपाटी कायम कर दी तो उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव भी कहां मानने वाले थे। इसलिए उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव जी के जन्मदिन 11 जून को दो अधूरे पुलों दीघा-सोनपुर पुल और आरा-छपरा पुल के उद्घाटन की तिथि तय कर दी। उन्होंने कहा कि अभी ये दोनों पुल पूरी तरह से तैयार नहीं है, फिर भी इसके उद्घाटन की तिथि तय कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि अभी आरा-छपरा पुल का एक ही भाग चालू हो पायेगा, दूसरे भाग के चालू होने में एक माह का समय लगेगा। उसी तरह दीघा-सोनपुर पुल पर अभी सिर्फ छोटे ही वाहन चलेंगे।
श्री यादव ने कहा कि 2015 के अगस्त में उद्घाटित अर्न्राष्ट्रीय म्यूजियम का काम दो साल बाद भी समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे उद्घाटनों का क्या मतलब होता है जब परियोजना का काम चल रहा हो। उन्होंने कहा कि अपना नाम उस परियोजना से जोड़ने के लिए लोग ऐसा कर रहे हैं, लेकिन यह नहीं जानते कि अधूरे कार्यों के बीच उद्घाटन से परियोजना की मजबूती पर बुरा असर पड़ता है।