पटना : बिहार में भले महागठबंधन की सरकार 20 महीने रही, लेकिन इसके दो घटक जनता दल यूनाइटेड और राजद के शीर्ष नेता नीतीश कुमार और लालू यादव के रिश्ते कभी सहज नहीं रहे | सोमवार को जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ने पत्रकारों से बातचीत में खुलासा करते हुए कहा कि महागठबंधन टूटने के 15 दिन पहले से ही जदयू विधायकों को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा था. हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी दल का नाम नहीं लिया. लेकिन, राजनीतिक जानकारों की मानें तो उन्होंने बिना नाम लिये राजद पर निशाना साधा है. वहीं गुजरात में कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार अहमद पटेल के पक्ष में जदयू विधायक द्वारा वोटिंग किये जाने की खबरों का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खंडन करते हुए कहा कि पार्टी विधायक ने अहमद पटेल को वोट नहीं दिया था.
नीतीश ने कहा कि उस समय अपनी पार्टी को महागठबंधन के लिए डुबो देते क्या ? गौरतलब है कि महागठबंधन से अलग होने का फैसला लेते हुए 26 जुलाई को नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था | साथ ही उन्होंने मीडिया से बातचीत में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को निशाने पर लिया और कहा था कि धन-संपत्ति गलत तरीके से अर्जित करने का कोई मतलब नहीं है | कफन में कोई जेब नहीं होती है |
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