पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ‘अपनों’ को बचाते और ‘विरोधियों’ को फंसाते हैं। इसी का नतीजा है कि पुलिस जानबूझ कर जदयू विधायक मेवालाल चैधरी, कांग्रेस नेता ब्रजेश पाण्डेय, निखिल प्रियदर्शी और जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह के हत्या के अभियुक्त पुत्र को जहां गिरफ्तार नहीं कर रही है वहीं आईएएस अधिकारी व मोहनिया के तत्कालीन एसडीओ जीतेन्द्र गुप्ता तथा बीएसएससी के अध्यक्ष सुधीर कुमार को आधी रात को गिरफ्तार करने उनके घर पहुंच जाती है।
दरअसल मुख्यमंत्री के इशारे पर पुलिस जानबूझ कर मेवालाल चैधरी से लेकर ब्रजेश पाण्डेय तक को इसलिए गिरफ्तार नहीं कर रही है ताकि इन्हें कोर्ट से अग्रिम जमानत लेने और साक्ष्यों को नष्ट करने का समय मिल सके। सरकार बतायें कि सैक्स स्कैंडल में शिकायत दर्ज होने के 70 दिन बाद भी आरोपित निखिल प्रियदर्शी को पुलिस अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है?
हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की जांच के बाद प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद जदयू विधायक मेवालाल चैधरी को खुला घूमने की छूट कैसी मिली हुई हैं? क्या मेवालाल चैधरी बाहर रह कर अपने प्रभाव का उपयोग कर साक्ष्यों से छेड़छाड़ नहीं कर रहेे हैं? जदयू विधान पार्षद दिनेश सिंह के हत्यारोपी पुत्र को पकड़ने में पुलिस के हाथ-पांव क्यों कांप रहे हैं?
अगर नीतीश कुमार बचाते और फंसाते नहीं है तो फिर आईएएस अधिकारी जीतेन्द्र गुप्ता को झूठे मामले में फंसाने वाले अधिकारियों के खिलाफ अब तक कौन सी कार्रवाई हुई है? क्या यह सच नहीं है कि जीतेन्द्र गुप्ता को हाईकोर्ट ने न केवल निर्दोष साबित किया बल्कि उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया जबकि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट गयी राज्य सरकार की याचिका तक को स्वीकार करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया।
नीतीश कुमार ‘अपनों’ को बचाते और ‘विरोधियों’ को फंसाते हैं – सुशील कुमार मोदी
