नहीं रहे गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर, सादगी के मिसाल थे पर्रिकर

गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर का 63 की उम्र में रविवार को निधन हो गया. पर्रिकर लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. वह पैनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे. राष्‍ट्रपति ने ट्वीट कर उनके निधन की जानकारी दी. इससे पहले खबर आई थी कि उनकी सेहत बेहद गंभीर हैं और डॉक्‍टर पूरी ताकत लगा रहे हैं.

नाक में ट्यूब लगाकार गोवा का बजट पेश किया था

आपको बताते चले कि इस साल 30 जनवरी को मनोहर पर्रिकर ने नाक में ट्यूब लगाकार गोवा का बजट पेश किया था. इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘आज मैं एक बार फिर वादा करता हूं कि मैं पूरी ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ और अपनी अंतिम सांस तक गोवा की सेवा करूंगा. मुझमें काफी जोश है और मैं पूरी तरह होश में हूं.’

राष्ट्रपति ने दुख प्रकट किया 

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने ट्वीट कर कहा, “गोवा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर पर्रिकर के निधन पर अत्यंत दुख हुआ है।

अग्नाशय की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे पर्रिकर

मनोहर पर्रिकर को फरवरी 2018 में उनके अग्नाशय की गंभीर बीमारी के बारे में पता चला था। मनोहर पर्रिकर एक ईमानदार और सादगी भरा जीवन जीने वाले नेता के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे। आईआईटी बॉम्बे से ग्रेजुएट पर्रिकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सक्रिय प्रचारक थे। वह तीन बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे। अग्नाशय की गंभीर बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद वे कभी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हटे। उन्होंने कहा था कि मानव मस्तिक किसी भी बिमारी पर जीत पा सकता है।

केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह ने कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी

मनोहर पर्रिकर के निधन पर केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह ने ट्वीट संवेदना जताई और कहा कि उनकी कमी हमेशा खलेगी। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता। वीके सिंह ने कहा कि वे एक ऐसे नेता थे जो कठिन समस्याओं का प्रैक्टिकल समाधान लाते थे। गोवा और भारत ने आज एक महान सपूत को खो दिया है।

गोवा के चहेते थे पर्रिकर : राहुल गांधी

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन पर शोक जताते हुए उन्हें ‘गोवा का चहेता बताया.’ उन्होंने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सभी लोग पर्रिकर का मान-सम्मान करते थे और बड़े साहस से वह एक साल तक बीमारी से लड़ते रहे. गांधी ने ट्वीट किया है, ‘‘गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर के निधन की सूचना से मैं बहुत दुखी हूं. वह एक साल तक पूरे साहस से अपनी बीमारी से लड़ते रहे. दलगत राजनीति से इतर सभी उनका मान-सम्मान करते थे और वह गोवा के सबसे लोकप्रिय बेटों में से एक थे. दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजन के साथ हैं.’’

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