21 जनवरी 2018 को बाल विवाह एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के पक्ष में राज्य सरकार ने बिहार के सभी 38 जिलों को जोड़ते हुए मानव श्रृंखला बनाने का कार्यक्रम रखा है। 21 जनवरी 2017 को नशामुक्त बिहार बनाने के पक्ष में राज्यव्यापी 12,760 कि.मी.की मानव श्रृंखला बनी थी जिसमें लगभग 4 करोड़ लोगों की भागीदारी रही। महिला, युवा, बच्चे, राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता, किसान, मजदूर, व्यवसायी, बुद्धिजीवी वर्ग, संपूर्ण बिहारवासियों ने इसमें स्वतः स्फूर्त ढंग से विशाल मानव अभेद्य दीवार निर्मित किया। शराबबंदी और नशामुक्ति के पक्ष में जनचेतना का यह विराट प्रदर्शन बिहारवासियों द्वारा पूरे राज्य में संयम और शांति के साथ सफल रहा। कहीं गीत गायन, तो कहीं मंगलाचरण पाठ, कला जत्था का गीत-नृत्य, बहुरुपियों के करतब, शंख वादन के द्वारा लोगों ने अपना उत्साह दिखाया। 21 जनवरी 2017 की मानव श्रृंखला के आयोजन को इसरो के दो सेटेलाइटों (कार्टो सेट-1 एवं कार्टो सेट-2) एवं उनके सहयोग से ट्रिपल सेट प्राइवेट सेटेलाइट ने इसे कैप्चर किया। लगभग 505 से 618 कि.मी. की ऊंचाई से लिए गए चित्र उपलब्ध हुए। 38 जिलों मे वीडियोग्राफी, ड्रोन कैमरे एवं हवाई जहाज से फोटोग्राफी करायी गई थी। मीडिया द्वारा भी इसे व्यापक तौर पर प्रसारित और प्रकाशित किया गया था। 8439 पंचायत, 534 प्रखंड एवं 38 जिले में इस मानव श्रृंखला का आयोजन रोमांचक एवं प्रेरणादायक था।
बापू के चंपारण सत्याग्रह के 100 साल पूरा होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में 2 अक्टूबर 2017 को मुख्यमंत्री ने बाल विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ अभियान की शुरुआत की थी। उसी दिन उन्होंने ऐलान किया था कि 21 जनवरी 2018 को इन कुरीतियों के खिलाफ पूरे राज्य में मानव श्रृंखला बनायी जाएगी।बापू के विचारों के प्रति यह सच्ची प्रतिबद्धता कही जा सकती है। 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के का विवाह गैर कानूनी है। दहेज प्रथा एवं बाल विवाह के खिलाफ पहले से कानून बने हुए हैं, कानूनन अपराध होने के बावजूद येकुरीतियां समाज में आज भी व्याप्त हैं। हमारे यहां होने वाली शादियों में लगभग 39 प्रतिशत शादियां बाल विवाह हैं।एक सर्वे के अनुसार 15 वर्ष से कम उम्र की किशोरी मां की प्रसव के दौरान मृत्यु की आशंका 20 वर्ष की उम्र की महिलाओं की अपेक्षा 5 गुणा अधिक होती है औरजो बच्चे जन्म लेते हैं वे बौनेपन, मंद बुद्धि एवं अन्य बीमारियों के शिकार होते हैं। जन्म से बालिकाओं के साथ भेदभाव के कारण ही राज्य में बालिकाओं का शिशु मृत्यु दर 46 तथा बालकों का 31 है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार अपराध के मामले में बिहार का स्थान 22 वां है। लेकिन दहेज प्रथा के चलते दहेज हत्या एवं उत्पीड़न के दर्ज मामलों की संख्या में उत्तर प्रदेश के बाद बिहार का स्थान दूसरा है। दहेज मृत्यु के मामले में राष्ट्रीय औसत दर 1.3 प्रतिशत है, जबकि बिहार का 2.3 प्रतिशत है। कमजोर, आर्थिक स्थिति के कारण कम उम्र में लड़कियों की शादी कर दी जाती है। दरअसल बाल विवाह एवं दहेज प्रथा एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। इसीलिए इन दोनों कुरीतियों के खिलाफ एक साथ अभियान चलाने का निर्णय लिया गया। इस सामाजिक कुरीति का खात्मा जन जागृति द्वारा किया जा सकता है। इसके लिए जन अभियान बहुत जरुरी है। लोगों को सचेत एवं सजग करने के लिए मानव श्रृंखला बनाने का निर्णय किया गया।
इस बार गांव से पंचायत, पंचायत से ब्लॉक, ब्लॉक से अनुमंडल, अनुमंडल से जिला, जिला से पूरा राज्य श्रृंखलाबद्ध होगा। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि जिस जिला में सबसे ज्यादा संख्या में लोग शामिल होंगे उस जिले को पुरस्कृत किया जाएगा। हरेक तबके एवं हरेक वर्ग के लोग एक-दूसरे का हाथ पकड़कर यह बताएंगे कि बिहार बाल विवाह एवं दहेज प्रथा को स्वीकार नहीं करेगा। अपने इस संकल्प से बिहार राज्य के निवासी एक मिसाल पेश करेंगे। बिहार के लोग अपनी भावना के जरिए ये बताएंगे कि बिहार इन कुरीतियों से मुक्त होना चाहता है। विकास के पथ पर अग्रसर रहते हुए फिर से अपने गौरवशाली अतीत को प्राप्त करना चाहता है। इस बार बनने वाली मानव श्रृंखला में लोगों ने पूरे उत्साह के साथ शामिल होने का मन बनाया है। निश्चित रुप से यह एक अद्भुत मानव श्रृंखला होगी। आम जन इस भागीदारी के प्रति आतुर है। यह मानव श्रृंखला ऐतिहासिक होगीजोजनता की भावना के प्रकटीककरण का एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा। बिहार हमेशा से नए प्रयोग करने वालों में अग्रणी रहा है। पूरे देश की इस पर नजर है। शराबबंदी एवं नशामुक्ति का निर्णय करके सरकार ने सामाजिक परिवर्तन की बुनियाद रखी, जिसका परिणाम बिहार के वातावरण एवं लोगों की आर्थिक स्थिति में स्पष्ट रुप से दिखायी पड़ रहा है। सामाजिक कुरीति के खिलाफ मुख्यमंत्री के इस संकल्प अभियान में बिहार की पूरी जनता अपनी भागीदारी प्रस्तुत करने के लिए तैयार है और उम्मीद की जा रही है कि पिछले बार के रिकॉर्ड को भी इस बार की मानव श्रृंखला तोड़कर एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।
नशा, बाल-विवाह एवं दहेज प्रथा के खिलाफ़ बनने वाली मानव श्रृंखला अद्भुत एवं ऐतिहासिक होगी.
