नई दिल्ली
धर्म की आड़ में वोट मांगने वालों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। हिंदुत्व केस में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोनों पक्षों की दलील सुन कहा कि चुनाव में धर्म का इस्तेमाल करना गैरकानूनी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला तब दिया है उत्तर प्रदेश, पंजाब सहित देश के कई राज्यों में इस साल चुनाव होने हैं।
सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की सांविधानिक पीठ ने कहा, ‘धर्म, जाति, भाषा के आधार पर वोट नहीं मांगा जा सकता है। हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और उसकी इस प्रकृति को बनाए रखना चाहिए। उम्मीदवार या एजेंट धर्म का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।’
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि चुनाव एक धर्मनिरपेक्ष अभ्यास है और यह प्रक्रिया हमेशा जारी रहनी चाहिए। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आगे यह भी स्पष्ट किया कि किसी शख्स और भगवान के बीच रिश्ता व्यक्तिगत मामला है। इस रिश्ते में राज्यों को हस्तक्षेप की इजाजत नहीं है।
कोर्ट ने यह फैसला हिंदुत्व मामले से जुड़ी कई याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दिया। इससे पहले सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने एक याचिका में कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की थी जिसमें कहा गया था कि धर्म और राजनीति को मिलाया नहीं जाना चाहिए और धर्म और राजनीति को एक-दूसरे से अलग करने के लिए निर्देश जारी किया जाना चाहिए।