दम तोड़ रहा है महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना : नंदकिषोर

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पटना, 19 अप्रैल । बिहार विधान सभा लोक लेखा समिति के सभापति और वरिष्ठ भाजपा नेता श्री नंदकिषोर यादव ने कहा है कि बिहार में महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज का सपना दम तोड़ रहा है। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के नाम पर गांधीजी के विचारों और आदर्षों को अपनाने की लंबी-लंबी बात करने वालों की नीति और नियत का जीता-जागता उदाहरण है सूबे के गांव, देहात की ग्राम कचहरियां।

श्री यादव ने आज यहां कहा कि एनडीए के शासनकाल में भाजपा के दबाव पर सन 2006 में ग्राम स्वराज को कानूनी रूप देने का निर्णय हुआ था। बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 के तहत ग्राम कचहरी की व्यवस्था गांव स्तर पर आपसी झगड़ों एवं विवादों के निपटारे के लिये की गई थी जिसके तहत 8391 ग्राम कचहरियों की व्यवस्था की गई थी जिसे न्यायपीठ की मान्यता दी गई। जिसकी स्थापना सबसे और त्वरित न्याय के लिये की गई है। सन् 2009 में पुलिस महानिदेषक के स्तर से ग्राम कचहरी को मुकदमा सौंपने का निर्णय हुआ और फरवरी 2012 में 40 धाराओं के तहत थानों में दर्ज मुकदमों को ग्राम कचहरी को देने का फैसला हुआ था। ग्राम कचहरी को मजबूत होने से न्यायालयों पर मुकदमों का बोझ कम होगा। लेकिन सरकार के तमाम आदेष-निर्देष धरे के धरे रह गये और सरकार सरकारी खजाने से करोड़ करोड़ रूपये खर्च कर गांधीजी के बताये रास्ते पर चलने का ढोंग पीट रही है।

श्री यादव ने कहा कि गांधीजी के सपने के अनुरूप ग्राम कचहरी को मजबूत कर मुकदमों का बोझ कम करने में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं है। उन मुकदमों को ग्राम कचहरी तक नहीं सौंपा गया जिसमें कार्रवाई करने की शक्ति उसे प्रदान की गई है। गांधीजी के सपने के अनुरूप इस व्यवस्था के प्रति उदासीनता राज्य सरकार की कथनी और करनी को स्पष्ट करती है। गांधीजी के प्रति श्रद्धांजलि देने के ‘सरकारी नाटक’ को पूरे बिहार की जनता देख रही है। साथ ही यह भी देख रही है कि गांधीजी के सपने ग्राम कचहरी के प्रति सरकार के उपेक्षाभाव को। इसलिए चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह न्याय के साथ विकास का स्मृति यात्रा का राज्य सरकार का संकल्प पूरी तरह झूठा और जनता को ठग विद्या पढ़ाने का एक पाठ है।

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