त्रि‍पुरा और नगालैंड में भाजपा का परचम, मेघालय में कांग्रेस सबसे आगे

नई दि‍ल्‍ली। तीन पूर्वोत्तर राज्यों के शनिवार को आए चुनावी नतीजों ने देश के सियासी नक्शे को बदल दिया। त्रिपुरा में बीते 25 साल से लगातार सरकार चला रहे लेफ्ट के किले को बीजेपी ने ढहा दिया। उसने यहां 35 साल में अपनी सबसे ज्यादा सीटें जीतीं। देश में ऐसा पहली बार हुआ है जब बीजेपी ने लेफ्ट की मजबूत पकड़ वाले राज्य में उसे सत्ता से बाहर कर दिया। शुरुआती रुझानों में त्रिपुरा में लेफ्ट और बीजेपी गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर नजर आई। लेकिन बाद में बीजेपी गठबंधन बहुमत के आंकड़े को पार कर गया। वहीं, नगालैंड-मेघालय में भी सरकार बनाने के समीकरण बीजेपी के ही पक्ष में नजर आ रहे हैं।
देखें नतीजे एक नजर में
1. मेघालय
21 – कांग्रेस
19 – नेशनल पीपल्स पार्टी (एनपीपी )
02 – भाजपा
06- यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीएफ)
11-अन्‍य
– यहां कांग्रेस जरूर सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन बीजेपी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी मिलकर कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि एनपीपी और यूडीएफ, दोनों ही केंद्र में एनडीए में शामिल हैं। नॉर्थ-ईस्ट में बीजेपी के कन्वीनर हेमंत बिस्व सरमा ने भी दावा किया कि मेघालय में गैर-कांग्रेसी सरकार बनाई जाएगी।
-मेघालय में इस बार 84 फीसदी मतदान हुआ था। सत्तारूढ़ कांग्रेस के अलावा बीजेपी, नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नवगठित पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट मुकाबले में है। वर्ष 2013 के चुनाव में बीजेपी ने इस राज्य में 13 उम्मीदवार उतारे थे, मगर कोई जीत नहीं पाया था। एनपीपी को 32 में से मात्र दो सीटें मिली थीं।
2 नगालैंड
09 – भाजपा
24- एनपीएफ प्‍लस
14- एनडीपीपी
– यहां कांग्रेस का सफाया हो गया है। बीजेपी को दोनों ही स्थितियों में फायदे में है, क्योंकि 15 साल वह एनपीएफ के साथ रही है और एनडीपीपी भी एनपीएफ से ही टूटकर बना दल है। ऐसे में किसी भी दल की अगुआई में बनने वाली सरकार में बीजेपी की हिस्सेदारी हो सकती है। नगालैंड में बीजेपी इस बार नवगठित नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ गठबंधन कर चुनावी अखाड़े में उतरी थी। दोनों ने क्रमश: 20 और 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारे।
3. त्रिपुरा
35 – भाजपा
16 – सीपीएम
08 -आईपीएफटी
जिस त्रिपुरा में बीते 25 साल में बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था, वहां उसने 51 सीटों पर माकपा को चुनौती दी थी। यहां पहली बार वह सबसे ज्यादा सीटें लेकर आ रही है। त्रिपुरा में 18 फरवरी को चुनाव हुए थे। यहां वर्ष 1993 से ही मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा की सरकार रही है। 18 फरवरी को इन विधानसभा की 60 में से 59 सीटों पर हुए मतदान में 92 फीसदी से अधिक मतदाताओं ने वोट डालकर देश के चुनावी इतिहास में एक रिकॉर्ड बनाया था।

 

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