पटना 16.07.2017। राजनीति और लठैती का फर्क मिटा चुके लालू प्रसाद को लग रहा है कि अपने 80 विधायकों की लाठी के बल पर वह नीतीश कुमार को झूका देंगे। वहीं जदयू को भी लग रहा है कि सरकार गिरने के डर से लालू प्रसाद झूक जायेंगे। वैसे सरकार गिरने से दोनों पक्ष डरे हुए हैं इसीलिए उनके बीच शह-मात का खेल चल रहा है। श्ेसा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा।
उन्होंने कहा कि गठबंधन के दोनों दलों के बीच जारी गतिरोध का खामियाजा पूरा बिहार भुगत रहा है। शासन-प्रशासन के सारे काम ठप्प हैं। भााजपा तेजस्वी यादव के भ्रष्टाचार के खिलाफ नीतीश कुमार के लिए गए स्टैंड के साथ है। नीतीश कुमार ने भी इसके पहले अनेक मुद्दों पर भाजपा और केन्द्र सरकार का समर्थन किया हैं। जदयू-राजद के बीच जल्द से जल्द आर-पार का फैसला होना चाहिए।
तेजस्वी यादव को अगर लम्बी राजनीति करनी है तो आरोपमुक्त होने तक उन्हें खुद इस्तीफा दे देना चाहिए। अपने पिता (लालू प्रसाद) के साये से बाहर निकल कर उन्हें ऐलान करना चाहिए कि जब वे नासमझ थे तब अपने पिता के कहने पर अनेक कम्पनियों के कागजात पर दस्तख्त कर दिए तथा उनके नाम से जो भी जमीन-मकान गिफ्ट कराये गए हैं उन्हें वे वापस कर देंगे।
दरअसल तेजस्वी को उनके पिता ने ही अपने भ्रष्टाचार के दलदल में फंसाया है। ऐसे में तेजस्वी को लालू प्रसाद नहीं बल्कि षरद यादव का अनुसरण करना चाहिए जिन्होंने हवाला कांड में नाम आने के तत्काल बाद लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।