तेजप्रताप ने छेड़ी बांसुरी की तान, गुप्त नवरात्रा पूजा में हुए शरीक

tej
tej-5
पटना। बुधवार को राजधानी पटना स्थित अनीसाबाद के उड़ान टोला मुहल्ले में पूर्व स्वास्थ मंत्री तेजप्रताप यादव गुप्त नवरात्रा पूजा समारोह में शरीक हुए। स्थानीय निवासियों और युवाओं ने तेजप्रताप यादव का गर्मजोशी से स्वागत किया। आपको बताते चले कि पूजा समारोह में बनाई गई महा सरस्वती की प्रतिमा को खुद मयंक ने बनाया है। मयंक के इस प्रतिभा को तेजप्रताप ने खूब सराहा। तेजप्रताप के साथ वृंदावन से आए कनक जी महाराज भी पूजा स्थल में मौजूद थे। वो भी मयंक के कलाकारी के कायल हो गए। तेजप्रताप ने महा सरस्वती की विधिवत पूजा अर्चना की। साथ ही उन्होंने बिहार के उज्ज्वल भविष्य की भी कामना की। पूजा के समापन के बाद तेजप्रताप ने बाँसुरी के मधुर धुन से सबको आनंदित किया। तेजप्रताप के बाँसुरी से निकली धुन को सुनने के लिए मोहल्ले के युवा काफी ललाहित थे। तेजप्रताप के बाँसुरी वादन के बाद कनक जी महाराज ने कृष्ण भजन से सबको मग्नमुध किया। पूजा समारोह के बाद स्थानीय लोगो ने तेजप्रताप यादव को धन्यवाद दिया।
mayank
मयंक का परिचय
किसकी करूं मैं पूजा तेरे इस जहां में, एक तू है जो मिट्टी से इंसान बनाती है और एक ये है जो मिट्टी से तुझे…चंद शब्दों के मेल से बना यह शेर सरस्वती भक्त मयंक की कलाकारी को बिल्कुल सटीक है। ऐसा कलाकार जिसे विरासत में कोई कला नहीं मिली, जिसने अपने लगन और जज्बे से ये साबित कर दिया कि इंसान अगर चाह ले तो कुछ भी संभव है। मयंक ने महज 7 साल के उम्र से ही मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने की ठानी और बिना किसी प्रशिक्षण के उसने अपनी मंजिल पा ली। मयंक लगातार 24 वर्षो से हरेक साल मां सरस्वती की एक प्रतिमा बनाकर खुद से  पूजा करता है। पटना के अनिसाबाद इलाके में रहने वाले मयंक शुरू से ही देवी भक्ति में रमे रहे। अपने हमउम्र लोगों के बीच मयंक को एक दोस्त की कमी सताती थी। ऐसे में मुर्तियों के सामने बैठकर वे घंटों एक टक उसकी बारीकियों को देखते थे। मयंक ने कहा कि मूर्तियों के सामने बैठने से उन्हें सुकून मिलता था। एक दिन उसके मन में ख्याल आया कि क्यों न वो खुद से मूर्ति बनाए और मां सरस्वती की पूजा करे। उसने इसी इच्छा के साथ मूर्तिकला में रमते चले गए और उनमें और निखार आया। बचपन से मयंक पढ़ाई में भी अच्छे रहे। उन्होंने साल 2012 में अपनी बीटेक की पढ़ाई पूरी की और पटना लौट आए, उन्होंने कही और काम करने के बजाए  खुद का काम करना  बेहतर माना और एक प्रोडक्शन हाउस  भी खोल । मयंक का यह मूर्ति प्रेम आज लोगों के बीच मिसाल बना हुआ है।
Advertisement
ccp-adv2-copy

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *