जुनून का दूसरा नाम सौरव ओबेराय उर्फ माही

IMG_20141219_165206घर वालो की नजरों से बचकर डांस के क्लास से शुरू हुआ सौरव ओबेराय उर्फ माही का ये सफर आज हिन्दी सिनेमा के दहलीज तक जा पहुँच है। कल तक जो आँखे उसकी राह रोकती थी,आज वही आँखे उसके हौसला अफजाई से नहीं थकती। माही की माने तो 2010 में उसने अपने कैरियर की शुरूआत की। सिनेमा का जूनून उसे डांस,नाटक,माँडलिग,स्टेज प्रोग्राम,छोटा पर्दा भाया हिन्दी सिनेमा तक ले आया। इस दरम्यान कई ऐसे पल भी आयें जो उसके बढे हौसले को तोडने के लिए काफी थे। झूठी सूचनाओं पर भी पटना में देर रात तक भाग-भाग कर प्रोड्यूसर-डाँयरेक्टर के यहाँ काम की खोज में जाना।  लेकिन पहली बार में ही उसके अभिनय,मेहनत और जूनून ने पटना दूर्दर्शन पर समाजिक सरोकार पर बनने वाली टेलिफिल्म में काम दिलाया। माही के अनुसार इसके पूर्व पटना,बोधगया,राऊलकेला,कुशीनगर में जाकर भगवान बुद्ध के जीवन पर नाटक खेलना बेहद काम आया। बेहतर मौके की तलाश उसे माया नगरी मुबंई तक खिंच  लायी। पहली बार बालाजी टेलिफिल्मस के डाँयरेक्टर संतोष बादल ने आँडिशन लिया और “फाईनल मैच” हिन्दी सिनेमा में काम दिया। ये फिल्म फरवरी-मार्च 2015 तक रिलिज हो जायेगी। इस फिल्म से माही को बेहद उम्मीद है। इसमें कैरेक्टर प्लेयर बाबु साहब का रोल अदा किया है। इस फिल्म में दलित अत्यचार को बेहद बारीकी से कुदेरा गया है। फिल्म करने के दौरान ही बिहार की सच्ची घटनाओं पर बिंग मैजिक गंगा पर पुलिस फाईल्स का काम मिला। इस सिरियल में बिहार से जुडी घटना थी वही इसका निर्माण पटना में  हुआ।

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