जिंदगी की जंग जीत गई सन्नो, 30 घंटे बाद बोरवेल से सकुशल निकाली गई ।

मुंगेर : बिहार के मुंगेर में लगभग 30 घंटे से बोरवेल में फंसी तीन वर्षीय मासूम बच्ची सन्नो को बचाने के लिए युद्धस्तर किया गया प्रयास आखिरकार रंग लाया और बच्ची को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है. इससे पहले एसडीआरएफ की टीम की आेर से लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बाेरवेल से बाहर निकाले जाने के बाद बच्ची को एंबुलेंस में लेकर अस्पताल ले जाया गया है. बच्ची को तत्काल मेडिकल सुविधा मुहैया करने के लिए मौके पर एम्बुलेंस पहले से तैयार था. पुलिस ने घटनास्थल की घेराबंदी की थी. बच्ची के इलाज के लिए हॉस्पिटल के आईसीयू को पहले से ही तैयार किया गया था. बच्ची से बात करते हुए पूरी रात जगी रही मां तीन साल की सना ने जिस तरह से इतने बड़े हादसे में अदम्य साहस का परिचय दिया, उस तरह का साहस किसी बड़े लोगों में संभव नहीं हो पाता है. एक ओर जहां बोरवेल में डाले गये सीसीटीवी कैमरे की मदद से बच्ची का हिलने-डोलने का पता चल रहा था, वहीं दूसरी ओर जब बच्ची के रोने की आवाज आने लगी, तब उसकी मां सुधा देवी ने बोरवेल में झांकते हुए जोर से आवाज लगायी कि बेटा मैं भी अंदर में ही हुं, तुमको जल्दी ही बाहर निकाल लेंगे. जब भी बच्ची के रोने की आवाज आती थी, तब उसकी मां उसे यही सांत्वाना देती रही. हर आधे घंटे, एक घंटे पर बच्ची की आवाज सुनाई दे रही थी और उसकी मां उसे बार-बार दिलासा दे रही थी. बुधवार की सुबह जब बच्ची से पूछा गया कि चॉकलेट खाओगी, तब बच्ची ने हांमी भरी. जिसके बाद एक पतली रस्सी के सहारे उसके हाथ तक चॉकलेट पहुंचाया गया, किंतु बच्ची का हाथ इस कदर उपर की ओर फंसा हुआ था कि वह अपने हाथ को मुंह तक नहीं पहुंचा पायी और चॉकलेट उसके हाथ में ही रह गया. जो भी हो इस मासूम बच्ची ने जो साहस दिखाया, वैसा बड़ों से काफी मुश्किल था. खेलने के दौरान बोरवेल में गिरी थी बच्ची मुर्गियाचक निवासी उमेश नंदन साव ने सोमवार को अपने घर के सबसे आगे वाले कमरे में समरसेबुल के लिए बोरवेल करवाया था. जिसमें पाइप डाल कर आधे बोरवेल में ग्रेबुल डाला जा चुका था और बोरवेल को एक पतले बोरे से ढ़क दिया गया था. मंगलवार को उमेश नंदन बोरवेल के पास ही बैठा हुआ था और उसकी 3 वर्षीय नतनी सना उर्फ सन्नो वहीं पर अपने हाथ में एक छोटा बेडमेंटन और एक प्लास्टिक का मग लेकर खेल रही थी. खेलने के क्रम में ही सना का पांव फिसल गया और वह बोरवेल में 25 फीट के गहराई पर फंस गयी. जिसके बाद परिजन तथा आस-पड़ोस के लोगों द्वारा बच्ची को बाहर निकालने का प्रयास किया जाने लगा. किंतु बोरवेल में डाले गये पाइप के हिलने-डोलने से बच्ची फिसल कर और नीचे चली गयी, जिसकी दूरी 43 फुट मापी गयी. घटना की सूचना मिलने के बाद जिला प्रशासन का पूरा दल मौके पर पहुंचा और बचाव कार्य में जुट गयी. जेसीबी और पोकलेन से की गयी खुदाई बोरवेल में काफी बुरी तरह से बच्ची के फंस जाने के कारण शाम 7 बजे जेसीबी मंगायी गयी और बोरवेल के समानांतर घर के आगे सड़क की खुदाई शुरू कर दी गयी. रात लगभग 10 बजे खगड़िया और भागलपुर से एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची और बचाव कार्य में जुट गयी, पर लगभग 10 फुट की खुदाई के बाद जेसीबी से और गड्ढा खोदना मुशकिल हो गया. इसके बाद एसडीआरएफ ने पोकलेन मंगवाया तथा पोकलेन के मदद से 25 फीट तक की खुदाई की गयी. इसके बाद पोकलेन से खुदाई करना भी मुश्किल हो गया और तब एसडीआरएफ की टीम खुद कुदाल व फावड़े की मदद से खुदाई में जुट गयी. वैसे बुधवार को अपराह्न लगभग 03:00 बजे एनडीआरएफ की टीम को पटना से हेलीकॉप्टर द्वारा मुंगेर लाया गया और 03:20 बजे एनडीआरएफ की टीम ने रेस्क्यू ऑपरेशन का कमान संभाला. जुगाड़ तकनीक का भी लिया गया सहारा रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान कई जरूरी इक्यूपमेंट उपलब्ध नहीं रहने के कारण एसडीआरएफ की टीम को जुगाड़ तकनीक का भी सहारा लेना पड़ा. चूंकि एसडीआरएफ की टीम जमीन के सतह से जब 25 फुट की गहराई तक पहुंच गया, तब वहां पर हवा की कमी के कारण उसे उमस से परेशानी होने लगी. जिसके बाद गड्ढ़े के उपर बांस बल्ले के सहारे दो पंखे लगाये गये तथा एक एजॉस्ट फैन लगाया गया. पर जैसे-जैसे गड्ढ़े की गहराई बढ़ते गयी, वैसे-वैसे दोनों पंखा भी बेअसर हो गया. 45 फुट गड्ढे खोदने के बाद जब बोरवेल में फंसी बच्ची के समानांतर सुरंग की खुदाई की जाने लगी, तब पानी के संभावित रिशाव व बहाव की स्थिति से निबटने के लिए सेफ्टी टैंक की व्यवस्था की गयी. इस दौरान लोगों की भारी भीड़ जमी रही जो सना के सकुशल निकालने की वाट जोह रहा था. मौके पर जमे रहे वरीय अधिकारी सना को बचाने के लिए प्रशासन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. मुंगेर के प्रमंडलीय आयुक्त पंकज कुमार पाल, डीआइजी जीतेंद्र मिश्रा, पुलिस अधीक्षक गौरव मंगला, सदर अनुमंडल पदाधिकारी खगेशचंद्र झा, एसएसपी हरिशंकर कुमार, एएसपी

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