जानिए सावन में कांवर का महत्व…

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पटना – पवित्र सावन  महीने की पहली सोमवारी आज से शुरू हो गई है।  भगवान शिव  का महा सावन के प्रथम सोमवारी को लेकर राजधानी पटना समेत पूरे बिहार में व्यापक तैयारी की की गई है। तो बिहार के शिवालयों में शिव भक्त भगवान भोले शंकर को तरह तरह से जल अर्पित कर मनोकामनाएं मांग रहे हैं।

यूं कहें कि सावन के प्रथम सोमवारी की आस्था का सागर आज पूरे बिहार के घर घर मंदिर मंदिर में हिलोर ले रहा है। वही भगवान शिव के भक्त तरह तरह से अपने आराध्य देव को खुश करने की कई तरह की कोशिश में लगे रहते हैं। कोई बेलपत्र चढाता है तो कोई धतूरे तो कोई कांवर लेकर उनके दरबार में बोल बम का नारा लगाते हुए जाता है। तो लोगों का कहना है कि सावन में भगवान भोलेनाथ की पूजा दूध, दही, घी, शक्कर, बेलपत्र, भांग सी करनी चाहिए क्योंकि इससे पुणे फलों की प्राप्ति होती है।

लेकिन क्या आप जानते हैं सावन में महादेव के दरबार में लोग कांवर लेकर क्यों जाते हैं। तो आइए आपको बताते हैं ‘सावर में कांवर का संबंध’। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शंकर ने जो विषपान किया था, वह घटना भी सावन महीने में ही हुई थी। तभी से यह क्रम अनवरत चलता आ रहा है।

कांवर यात्रा को पद यात्रा को बढ़ावा देने के प्रतीक रूप में माना जाता है। पैदल यात्रा से शरीर के वायु तत्व का मन होता है। कावर यात्रा के माध्यम से व्यक्ति अपने संकल्प बल में प्रखरता लाता है। वैसे साल के सभी सोमवार शिव उपन्यास के माने गए हैं, लेकिन सावन में चार सोमवार श्रवण नक्षत्र और शिव विवाह की तिथि पड़ने के कारण शिव उपासना का महत्व बढ़ जाता है।

कैसे करें व्रत का पालन

सावन मास में सोमवार के दिन भगवान शिव का व्रत करना चाहिए और वर्त के बाद भगवान श्री गणेश जी, भगवान शिव जी, माता पार्वती व नंदी देवी की पूजा करनी चाहिए, सावन में सोमवार का व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए। और ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त होने के वाद गंगाजल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़के साथ ही घर में ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

तो पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, मोली, वस्त्र,चंदन, रोरी चावल, फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, कमल, गठा, प्रसाद, पान, सुपारी लौंग, इलाइची व दक्षिणा चढ़ाया जाता है। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिव पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक है।

सावन के त्यौहार..

  • 2 अगस्त को सोमवती अमावस्या यानी हरियाली अमावस्या।
  • 6 अगस्त को गणेश चतुर्दशी।
  • 7 अगस्त को नाग पंचमी।
  • 11अगस्त को दुर्गा अष्टमी पर्व।
  • 14 अगस्त को पुत्रदा एकादशी।
  • 15 अगस्त को सोम प्रदोष व्रत एवं सावन का अंतिम सोमवारी।
  • 18 अगस्त को रक्षाबंधन।
  • 30 अगस्त को कामदा एकादशी।

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