जब मुझे रिजेक्ट किया : पद्मिनी कोल्हापुरी

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अनूप नारायण सिंह।

मेरी मां इंडियन एयरलाइंस में काम करती थीं. उस वक्त तो पूरे भारत में बस वही एक एयरलाइन हुआ करती थी, तो जब भी काका जी (राजेश खन्ना) कहीं शूटिंग के लिए जाते, तो मेरी मां मुझे फोन करके एयरपोर्ट बुला लेतीं. मैं उन्हें दूर से ही देख कर बहुत खुश हो जाया करती.
पद्मिनी कोल्हापुरे जब फिल्मों में आईं, तब बाल-कलाकारों की जबरदस्त डिमांड थी। इसकी वजह थी कि तब फिल्म के हीरो या हीरोइन को बचपन से यौवन में प्रवेश कराने के बाद उनका रोमांस शुरू होता था। 5 साल की उम्र में पद्मिनी ने कैमरा फेस किया था। फिल्म थी ‘एक खिलाड़ी बावन पत्ते’। गुलजार की बाल-फिल्म ‘किताब’ में पद्मिनी और उनकी बहन शिवांगी ने युगल गीत गाया था- ‘अ-आ-इ-ई, मास्टरजी की आ गई चिट्ठी…।’ इसलिए उन्हें लताजी तथा आशाजी के पीछे खड़े रहकर कोरस गीत गाने के अनेक मौके मिले।

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जब देव आनंद अपनी फिल्म ‘इश्क-इश्क-इश्क’ बना रहे थे, तो आशा भोंसले ने पद्मिनी का नाम देव को सुझाया। बस, पद्मिनी फिल्म में शामिल कर ली गईं। इसके बाद बतौर अभिनेत्री उनका करियर चल पड़ा।

बाल-कलाकार के रूप में हेमा मालिनी के साथ उन्होंने ‘ड्रीमगर्ल’ में काम किया था। इस फिल्म की शूटिंग अमेरिका के डिज्नीलैंड में हुई, तो वहाँ बच्चों ने खूब मौज-मस्ती की थी। ‘जिंदगी’ में जब पद्मिनी ने काम किया, तो संजीव कुमार उनके दादा बने थे। बाद में ‘प्रोफेसर की पड़ोसन’ में वे संजीव की नायिका बनीं!
पद्मिनी के नृत्य पर रीझकर राज कपूर ने दो सौ बाल कलाकारों की भीड़ में से उन्हें चुनकर ‘सत्यम्‌ शिवम्‌ सुंदरम्‌’ में जीनत अमान के बचपन का रोल दिया था। उन पर फिल्माया गया गीत ‘यशोमति मैया से पूछे नंदलाला, राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला’ बहुत लोकप्रिय हुआ था। इसके बाद पद्मिनी ने बाल कलाकार वाली ‘साजन बिना सुहागन’, ‘गहराई’, ‘हमारा संसार’ और ‘थोड़ी-सी बेवफाई’ की। इसके बाद वे खुद ‘एडल्ट’ हो गईं।

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अरुणा राजे-विकास की फिल्म ‘गहराई’ में उनके कथित न्यूड सीन की खूब चर्चा हुई थी। यह तंत्र विद्या पर आधारित फिल्म थी। बीआर चोपड़ा की ‘इंसाफ का तराजू’ में उन पर सात मिनट लंबा बलात्कार का सीन फिल्माया गया था। इस सीन से मीडिया और दर्शकों में काफी हो-हल्ला मचा और सेंसर बोर्ड के कान उमेठे गए। बाद में सेंसर बोर्ड की गाइड-लाइन में यह नियम शामिल किया गया कि बलात्कार के सीन प्रतीकात्मक होना चाहिए।
‘इंसाफ का तराजू’ से पद्मिनी पर यह आरोप लगा कि वे समाज में अश्लीलता फैलाना चाहती हैं। अपने बारे में दुष्प्रचार को देख पद्मिनी ने बाद में ऐसी कई फिल्मों के ऑफर ठुकरा दिए जिनकी थीम बोल्ड थी।

एक कन्नड़ फिल्म का रीमेक हिन्दी में ‘आहिस्ता-आहिस्ता’ नाम से बनाया जा रहा था। उसके सेट पर ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स शूटिंग देखने आए। युवा चंचल पद्मिनी ने दौड़कर उनका चुम्बन लिया और सबको चौंका दिया। इस अनोखे स्वागत की दुनियाभर में गरमा-गरम चर्चाएँ हुईं और पद्मिनी देखते-देखते प्रसिद्ध हो गईं

पद्मिनी कोल्हापुरे के करियर में राज कपूर की ‘प्रेम रोग’ टर्निंग पॉइंट साबित हुई। इस फिल्म में उन्होंने एक युवा विधवा का रोल इतने जीवंत तरीके से निभाया कि उनकी धाक जम गई। राज कपूर द्वारा बतौर हीरोइन साइन किए जाते ही बॉलीवुड के सारे फिल्मकार पद्मिनी कोल्हापुरे को साइन करने के लिए टूट पड़े।
‘प्रेम रोग’ के पहले बतौर हीरोइन उनकी ‘आहिस्ता-आहिस्ता’ (1981) और ‘जमाने को दिखाना है’ (1981) फ्लॉप रही थीं, लेकिन ‘प्रेम रोग’ के बाद परिस्थितियाँ बदल गईं। देव आनंद, सुभाष घई, बापू, सावन कुमार, सुनील दत्त, बीआर चोपड़ा, नासिर हुसैन और वी. शांताराम जैसे फिल्मकारों के साथ उन्हें फिल्म करने के अवसर मिले। युवा अनिल कपूर के साथ ‘वो सात दिन’ करना उन्होंने तब मंजूर किया, जब वे स्थापित हीरोइन बन चुकी थीं। अनिल इस अहसान को आज तक मानते हैं।
सावन कुमार टाक की ‘सौतन’ पद्मिनी की उल्लेखनीय फिल्म है। केसी बोकाड़िया की ‘प्यार झुकता नहीं’ ने अप्रत्याशित रूप से बॉक्स ऑफिस पर जमकर धूम मचाई। इस फिल्म के बाद उनकी जोड़ी मिथुन चक्रवर्ती के साथ ऐसी जमी कि दोनों की अनेक फिल्में ‘स्वर्ग से सुंदर’, ‘प्यारी बहना’, ‘हवालात’, ‘ऐसा प्यार कहाँ’ तथा ‘दाता’ बाजार में आईं।

‘विधाता’ का जिक्र पद्मिनी हमेशा करती हैं, क्योंकि इस फिल्म में उन्हें तीन महान कलाकारों- दिलीप कुमार, संजीव कुमार और शम्मी कपूर के साथ काम करने का मौका मिला था। ‘ऐसा प्यार कहाँ’ के समय पद्मिनी का रोमांस निर्माता प्रदीप शर्मा (टुटु) से हो गया। बाद में उन्होंने टुटु से शादी कर घर बसा लिया।

मध्यमवर्गीय महाराष्ट्रीयन परिवार की मुलगी पद्मिनी के पिता शास्त्रीय गायक रहे हैं। माँ एयर होस्टेस रही हैं। परिवार में तीन बेटियों शिवांगी, पद्मिनी और तेजस्विनी के साथ घर-गृहस्थी देखने के लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। पद्मिनी का परिवार मंगेशकर परिवार से रिश्तों में बँधा है। पद्मिनी के दादा कृष्णराव कोल्हापुरे से पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बहन ब्याही गई थीं। दादा रंगमंच के कलाकार थे। वे दीनानाथ नाटक मंडली के सदस्य भी थे।

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