पटना : जदयू जनता परिवार के विलय से पहले राह में बिखरे कांटों को साफ करने में जुट गया है। कोशिश हो रही है कि जनता परिवार की एकजुटता का विरोध करने वालों को बर्खास्त करके पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाए। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के खेमे में खड़े पार्टी के अनेक विधायक शामिल हैं, तो जदयू के चुनाव चिह्न तीर पर अपना दावा ठोक रहे हैं। ऐसे विधायकों को दल से निकालने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जनता परिवार में सपा, राजद, सजपा, इंडियन नेशनल लोकदल, जनता दल (एस) के साथ जदयू का विलय हो जाने के बाद पार्टी के नाम के साथ-साथ चुनाव चिह्न बदल जाएगा। कानूनी प्रावधान यह कहता है कि अगर विलय करने के लिए प्रस्ताव के समर्थन में कम से कम दो-तिहाई विधायकों का बहुमत चाहिए।
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