मुद्दा तो परिवारवाद ही है…..
अनूप नारायण सिंह की रिपोर्ट।
भाई नेताओं का वही पुराना शब्द जो हमको लगता है। ये नेता बोलते बोलते न थके हो लेकिन जनता सुनते सुनते थक गई है ।सेकुलर, समाजवादी है। पिछड़े, शोषित की लडाई लड़ते है। हम और न जानने क्या बोलते है। लेकिन अपने फायदे के लिए सब भूल जाते है। और ये कभी नही बताते की विधायक, सांसद, मंत्री बनने के पहले हमारे पास कुसी भी न थी। लेकिन बनने के बाद ना जानने काहे से इतना पैसा उगता है, कि सब कुछ सात जन्मो के लिए भी अधिक रहता है। भाई जनता को भी तो बताओ। आखिर मंत्री सांसद बनते ही कहा और कैसे होता है ये। तब पिछड़े, शोषित सेकुलिज्म नही नजर आता है। लोहिया, कपूरी जी, जयप्रकाश जी क्या यही कह कर अपने चेलाओ से कह कर गये की सारे नीति सिद्धान्त को भूल कर केवल अपने बारे मे सोचो और कुछ नही।जनता और गरीबों का केवल केवल वोट बैंक के रूप मे इस्तेमाल करो। आज इसके साथ कल उसके साथ आज वह चोर कल तुम चोर। रोज नये रिस्ते बनाते रहो केवल अपने फायदे के लिए और कुछ नही। कल वे चाचा, मामा, भाई आज कोई और। यही राजनीति है बस और कुछ नही। अपने फायदे के लिए सेकुलर कौन है, कौन नही इसकी भी परिभाषा अपने ही तय करो। हम जिसके साथ है लेकिन महान बाकि चोर। अपने हिसाब से देश टुट रहा है और अपने हिसाब से देश जुड़े रहा है। लोगो को कम और नेताओं को ज्यादा क्यो लगता है कि हर समय देश टुट रहा है, और देश की रक्षा नहीं कर सकते है और कोई नही। कुसी की बिमारी है, कुछ नेताओं की ।हर कोई कुछ न कुछ फूकने की फिराक मे है। जनता जाग चुकी है और नौजवानों अब होशियार हो गये है। दादा, पोता, मा-बेटा और न अब विरासत की राजनीति नही चलेगी। अब वही देश और जनता पर राज्य करेगा। जो सब विकास और सब साथ चाहेगा। न मडलवाद होगा, न कमडल वाद होगा अब मडल और कमडल मिलकर देश चलायेंगे और देश और दुनिया विकास के रास्ते पर अग्रसर होगा। न जात बात न धर्म। बात होई केवल और केवल इंसानियत की। तभी जाकर देश और सभी लोग विकास पथ पर आगे जाऐगा ।