चुनाव में जय श्री राम !

( अनुभव की बात, अनुभव के साथ )

चुनाव निकट हो और भगवान राम की याद ना आए,यह कैसे हो सकता है? चुनाव निकट हो और हिंदू- मुस्लिम की चर्चा ना हो, ऐसा कैसे हो सकता है? रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बोलते हुए केंद्रीय राज्य मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि भारत के मुसलमान मुगलों के नहीं बल्कि श्री राम के वंशज हैं। उन्होंने कहा कि हमारे और मुसलमानों के वंशज एक ही हैं। मैं गिरिराज बाबू के इस बौद्धिक ज्ञान की तारीफ करता हूं। उन्होंने देश को एक नई जानकारी दी। इसी बहाने देश के लोगों को एक नई जानकारी मिली, कि हिंदू और मुस्लिम दोनों के एक ही वंशज रहे हैं। पता नहीं गिरिराज बाबू ने यह जानकारी कहां से जुटाई है, लेकिन यह एक शोध का विषय है। देश के इतिहासकारों को, शोधकर्ताओं को इस पर शोध करनी चाहिए और देशवासियों के सामने, समस्त विश्व के सामने इस तथ्य को रखना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा है कि मुस्लिम भी श्री राम के वंशज हैं, इसीलिए मुस्लिमों को भी श्री राम मंदिर निर्माण में आगे आना चाहिए। गिरिराज बाबू ने कोई अजूबी बात नहीं कही है। कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव सहित लोकसभा का चुनाव भी निकट है और राम मंदिर की चर्चा ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। कहीं ना कहीं, किसी ना किसी को इसकी शुरुआत तो करनी ही है। देशवासी अब समझदार हो गए हैं और वह भी राजनेताओं की राजनीति थोड़ी बहुत समझने लगे हैं। राम मंदिर शायद आज भी रोजगार, विकास, महंगाई एवं कई अन्य समस्याओं से भी अधिक महत्वपूर्ण मुद्दा है हमारे देशवासियों के लिए। जो चुनाव में सटीक बैठता है। राम मंदिर की वजह से ना जाने कितनी सरकार बन गई,राम मंदिर की वजह से ही भारतीय जनता पार्टी देश के घर घर में पहुंच पाने में सफल रही। बावजूद इसके राम मंदिर जहां था, जैसे था उसी स्थिति में आज भी है।केंद्रीय राज्य मंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे बढ़ते हुए कहा कि बिहार सहित पूरे देश में मुगलों से संबंधित जो स्थान हैं उनके नाम बदल दिए जाएं। इन बयानों को देखकर कोई भी समझ सकता है कि अब चुनाव निकट आ गया है।
ऐसा लगता है जैसे राजनीतिक दल कुछ नमूनों को इसी प्रकार के विवादास्पद बयान देने के लिए रखते हैं। राजनीति में गिरिराज बाबू की कोई खास उपलब्धि नहीं रही है।वह हमेशा से ही इसी प्रकार के विवादास्पद बयान देकर चर्चा में बने रहे हैं और मंत्री बनने में सफल भी रहे। वर्तमान में गिरिराज बाबू एक भाजपा नेता से अधिक हैं। वो एक केंद्रीय मंत्री हैं। उनकी जिम्मेवारी पूरे देश और देशवासियों के प्रति होनी चाहिए। उनकी निष्ठा भारतीय संविधान के प्रति होनी चाहिए, ना कि सिर्फ अपनी पार्टी के लिए। और, यदि उन्हें इस प्रकार का बयान देकर पार्टी के लिए संजीवनी का काम करना है तो उन्हें मंत्री पद का त्याग कर पार्टी संगठन के लिए अपनी निष्ठा दिखानी चाहिए।एक केंद्रीय मंत्री के लिए निश्चित रूप से इस प्रकार का बयान शर्मनाक है।

हिंदू- मुस्लिम के विवाद में देश ने बहुत कुछ खोया है, प्लीज अब और नहीं।

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