खोरठा भाषा के प्रसिद्ध आलोचक-साहित्यकार आकाश खूंटी का जलेस से असम्बन्धता की घोषणा

बोकारो, 20.07.2017.

कन्हैया कुमार के देशद्रोही नारे, दलित-मुस्लिम और नारी के मुद्दे पर संघ की पक्षपात पूर्ण रवैये के मुद्दे पर काफी दिनों से संघ के पदाधिकारियों के साथ मतभेद चल रहे थे जो श्मोब लिंचिंगश् के मुद्दे पर सतह पर आ गया जब वे श्भीड़ द्वारा हत्याश् के मामले में केवल सांप्रदायिक मामलों को ही रेखांकित कर बयान देना शुरू किये. दूसरी ओर झारखण्ड और झारखंडी भाषा-संस्कृति के मुद्दे पर भी इनकी रवैया उपेक्षा पूर्ण रही है. ये प्रेमचन्द और निराला छोड़ किसी को जानते हैं न मानते हैं. मार्क्स की उक्ति बचपन से पढ़ी है,श्धर्म अफीम की गोली होती हैश् अर्थात मैंने कम्युनिस्ट को सही मायने में धर्मनिरपेक्ष मानते हुए उनके निकट आया पर निकट से पाया कि इनकी धर्मनिरपेक्षता मुस्लिमों के मामले में उदार हो जाती है.

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उक्त बाते ‘लुआठी’ के संपादक व खोरठा भाषा के प्रसिद्ध आलोचक-साहित्यकार आकाश खूंटी ने श्जनवादी लेख संघश् से अपनी असम्बन्धता की घोषणा करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि ‘‘इसी हफ्ते मुझे जनवादी लेखक संघ के श्व्हाट्स एप्पश् ग्रुप से हटा दिया गया इन्ही मुद्दे पर. जनवादी लेखक संघ,बोकारो जिला ईकाई में श्सह-सचिवश् के तौर पर मेरा नाम दर्ज है. मैं एतद् द्वारा अपने आप को श्जनवादी लेख संघश् से असंबद्ध होने की घोषणा करता हूँ….

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