क्या वाकई शिकंजी बेचती थी कोका-कोला कंपनी, जानिए राहुल गांधी का सच

नई दिल्ली। हाल ही में ताल कटोरा स्टेडियम में ओबीसी कार्यक्रम में शरीक हुए राहुल गांधी के बयान खूब सुर्खियों में चल रहे हैं। कोका कोला कंपनी को लेकर दिए गए बयान आजकल सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे हैं और लोग उसके मजे भी ले रहे हैं। हालांकि, अपने बयान के दौरान वह यह समझाने की कोशिश कर रहे थे कि अपने देश में प्रतिभाशालि लोगों की कद्र नहीं होती है, लेकिन उनके कहने के अंदाज़ ने उन्हें हंसी का पात्र बना दिया।

क्या है सच-
फिलहाल आपको बता दें कि उन्होंने संबोधित करते हुए अपने बयान में कहा था कि कोका कोला के मालिक शिकंजी बेचते थे, लेकिन इस बात को लेकर एक सच सामने निकलकर आया है जिसे शायद ही कोई नकार पाए। कोका कोला की वेबसाइट के मुताबिक फार्मासिस्ट डॉ. जॉन पेम्बर्टन ने आठ मई 1886 को अटलांटा एक खास सीरप बनाकर इसकी शुरुआत की थी, जिसमें उन्होंने कार्बोनेट वॉटर बनाया था। धीरे-धीरे बदलाव के बाद यह बेहद स्वादिष्ट हो गया और लोगों को पसंद आने लगा। बाद में इसे जैकब फॉर्मेसी से इसे मंजूरी भी मिल गई थी।
यह एक ऐसा ड्रिंक था जिसमें एल्कोहल नहीं था और लोग सोडा ड्रिंक के नाम पर इसे लेते थे। बाद में इसे कोका कोला का नाम दिया गया।कोका कोला ने अपना पहला विज्ञापन अटलांटा जर्नल में दिया था। इस विज्ञापन में कंपनी प्यासे नागरिकों को नए लोकप्रिय सोडा ड्रिंक से प्यास बुझाने के लिए बुलाया था। पहले साल में कंपनी हर दिन औसतन 9 ड्रिंक बेच पाती थी।
तो क्या अब आप राहुल गांधी द्वारा दिए बयान को सही समझकर मज़ाक उड़ाना बंद कर देंगे। यह पूरी जानकारी www.coca-colacompany.com की वेबसाइट पर दी गई है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो कंपनी वाले ही बता सकते हैं।

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