धरती पर पानी की गंभीर समस्या शुरू हो गई है। दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन दुनिया का पहला ऐसा शहर बन गया है, जहां पानी को लेकर आपातस्थिति बन गई है। पानी की कमी से यहां हाहाकार मचा है। 14 अप्रैल तक यह दुनिया का पहला जलविहीन शहर बन जाएगा। यानी यहां पानी बिलकुल खत्म हो जाएगा। तीन साल से लगातार शहर सूखे की मार झेल रहा है।
शहरी प्रशासन की लापरवाही से भी जल संरक्षण नहीं किया जा सका। नींद से जागी सरकार ने यहां पानी के बचाव के लिए कई कदम उठा लिए हैं। हालात ऐसे हैं कि सेना जल आपूर्ति योजनाओं की रक्षा में तैनात की गई है। केपटाउन जैसे हालात सिर्फ अफ्रीका नहीं बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में खड़े हो सकते हैं। जरूरत है अभी से पानी के संरक्षण के प्रति जागरूक होने की।
ऐसी है केपटाउन में स्थिति
– कई होटल, क्लब आदि में नल हटा दिए हैं। विकल्प के तौर पर सैनेटाइजर के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।
– बगीचों में पानी डालने, वाहन साफ करने पर रोक।
– अधिक इस्तेमाल पर जुर्माना
– जितना ज्यादा पानी का उपयोग किया, उतना अधिक भुगतान।
– 50 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मिल रहा है।
रोजमर्रा की गतिविधियों को देखा जाए तो ऐसे खर्च होगा पानी
नहाने, कपड़े और बर्तन धोने के लिए : 29 लीटर।
वॉशरूम : 8 लीटरघर की सफाई के लिए : 4 लीटर
पानी पीने के लिए : 4 लीटर
हाथ धोने के लिए : 2 लीटर
कुकिंग के लिए : 2 लीटर
पालतू जानवरों के लिए : 1 लीटर।
ये उपाय कर रहे लोग
– महिलाएं ब्रेड (चोटी) बनवा रही हैं ताकि बाल गंदे न हो और उन्हें बार-बार धोना न पड़े। बाल धोने के लिए ड्राई शैंपू के इस्तेमाल की सलाह दी गई है।
– एक ही पानी का बार-बार इस्तेमाल। बर्तन धोने के लिए “विशेष प्रोबायोटिक साबुन” का उपयोग। उस पानी का घर साफ करने में उपयोग किया जाता है।
– दो मिनट के गाने बनाए : दक्षिण अफ्रीकी पॉप गायकों ने दो मिनट में नहाने के लिए कई गाने बनाए हैं। गौरतलब है कि शॉवर से नहाने में प्रति मिनट 10 लीटर तक पानी खर्च होता है। ऐसे में दक्षिण अफ्रीकी लोगों के लिए पानी की प्रतिदिन निर्धारित मात्रा पांच मिनट में खत्म हो सकती है।
वैश्विक स्तर पर ऐसी है स्थिति
– 3.6 अरब लोग यानी दुनिया की आधी आबादी हर साल एक महीने जलसंकट का सामना करती है।
– 2050 तक पानी की कमी का सामना कर रहे लोगों की संख्या 5.7 अरब पहुंच जाएगी।
– एक सदी में पानी की खपत छह गुना बढ़ी।
इन देशों में भी केपटाउन जैसा खतरा
साओ पाउलो, ब्राजील और बीजिंग, चीन