पटना, 7 जून । बिहार विधान सभा की लोक लेखा समिति के सभापति व वरिष्ठ भाजपा नेता श्री नंदकिशोर यादव ने कहा है कि किसानों के लिए हितकारी राष्ट्रीय कृषि बाजार योजना को लागू करने में राज्य सरकार आनाकानी कर रही है । ऐसे प्रत्येक बाजार को भारत सरकार 30 लाख रूपये की सहायता देती है। चालू वित्तीय वर्ष में इसे बढ़ाकर 75 लाख रूपया करने का प्रस्ताव है।
श्री यादव ने आज यहां कहा कि कृषकों को उनके उत्पादन का सही मूल्य मिले इसके लिए भारत सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरूआत की है। इस वर्ष तक 200 करोड़ रूपये की लागत से ई-मार्केट प्लेटफार्म शुरू करने के निमित्त देष की 586 मंडियों को शामिल किया गया है लेकिन इसमें बिहार की एक भी मंडी का अब तक का जुड़ाव नहीं हुआ है। 31 मार्च 2018 तक सूचीबद्ध सभी मंडियों को ई-ट्रेडिंग पोर्टल से जोड़ दिया जायेगा। राष्ट्रीय कृषि बाजार के लिए ई-प्लेटफार्म से किसानों को उनकी उपज की अच्छी कीमत मिलेगी। इससे किसानों की मदद के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की ‘एक राष्ट्र एक बाजार’ की परिकल्पना साकार होगी। कृषकों के हित वाली इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 14 अप्रैल 2016 को किया था। पूरे देष में एक अभियान के तहत इस योजना से जुड़ने का काम चल रहा है लेकिन बिहार सरकार ने इस योजना से अपनी दूरी बनाकर अपना किसान विरोधी चेहरा दिखाया है।
श्री यादव ने कहा कि सूबे में पूर्व में स्थापित 54 बाजार प्रांगणों में किसानों के उत्पाद की खरीद-बिक्री अब भी हो रही है। लेकिन वहां कृषकों के लिए कोई सुविधा नहीं है क्योंकि राजद के राजपाट में निष्क्रिय हो चुकी कृषि उत्पादन बाजार समिति को सन् 2006 में एनडीए की सरकार ने ही भंग कर दिया था। अब भारत सरकार ने नई योजनाओं के साथ तकनीकी युक्त जानकारी देते हुए ई-प्लेटफार्म योजना शुरू की तो नीतीष सरकार ने अपने हाथ खींच लिये। कृषकों के हित के सभी मामलों में राज्य सरकार का किसान विरोधी चेहरा ही दिखा है। अब ई-प्लेटफार्म योजना में भी सरकार का वही चेहरा झलक रहा है।