या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
आज नवरात्र का चौथा दिन है आज का दिन मां कूष्माण्डा का है। बेहद ही शांत, सौम्य और मोहक रूप है मां कूष्माण्डा का जो उनके भक्तों के मन में शांति, सौम्यता और त्याग जगाता है।
कहते हैं जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अतः ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दैदीप्यमान हैं।
माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। सच्चे मन से मां से जो भी मांगो वो जरूर पूरा होता है। आज जातक को मन से मां की पूजा करनी चाहिए जिसके चलते उस पर आने वाले हर संकट को मां उससे दूर कर देंगी।