उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक ने किसानों के कर्ज को माफ करने का ऐलान किया है। बिहार सरकार को भी इन राज्यों के तर्ज पर किसानों के कर्ज को माफ करने पर विचार करना चाहिए। कृषि रोड मैप के फेल होने, सरकार द्वारा किसानों की ऊपज की खरीद नहीं होने से बिहार के किसानों की हालत खस्ता है।
बिहार के 39 लाख किसानों पर 21,615 करोड़ का अल्पकालीन कृषि ऋण हैं। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेष सरकार ने एक-एक लाख तक के कर्ज माफ कर जहां दो करोड़ किसानों को राहत दी है वहीं कर्नाटक ने भी 50 हजार रुपये तक के ऋण को माफ कर 22 लाख किसानों का लाभ पहुंचाया है। बिहार सरकार को भी 39 लाख किसानों के हित में कर्ज माफी का निर्णय लेना चाहिए। इसके अलावा बिहार सरकार को मध्य प्रदेष, छत्तीसगढ़, हरियाणा, कर्नाटक, तेलंगना, आन्ध्र प्रदेष ,राजस्थान और पंजाब की तरह किसानों को ब्याजरहित ऋण देना चाहिए।
इस साल 90 लाख मे. टन धान का रिकार्ड उत्पादन होने के बावजूद राज्य सरकार मात्र 18 मे. टन ही खरीद पाई, नतीजतन किसानों को औने-पौने दाम पर अपनी ऊपज को बेचने के लिए बाध्य होना पड़ा। दूसरा कृषि रोड मैप (2012-17) अपने सभी मानकों पर बुरी तरह से फेल रहा है। डीजल अनुदान के भुगतान और कृषि यंत्रीकरण में भी सरकार विफल रही है। ऐसे में सरकार को किसानों के कर्ज को माफ करने के साथ ही उन्हें आगामी फसलों के लिए ब्याजरहित ऋण देना चाहिए।
किसानों के कर्ज को माफ कर आगामी फसलों के लिए ब्याजरहित ऋण दे बिहार सरकार- सुशील कुमार मोदी
