(रिपोर्ट – अनुभव)
पटना-बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कौकब कादरी ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश की एनडीए सरकार पर राफेल सौदे में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने देश के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण से स्पष्ट तौर पर यह बताने को कहा है कि मोदी सरकार ने फ्रांस की सरकार से और दसॉल्ट एविएशन से जो 36 राफेल जहाज खरीदे हैं उसकी क्या कीमत है। देश की जनता यह जानना चाहती है कि केंद्र सरकार की ऐसी कौन सी मजबूरी है ,ऐसा कौन सा समझौता है, कि जहाज की कीमत बताने पर प्रतिबंध लगा है। बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि 2008 के कॉन्फिडेंस एग्रीमेंट की, जिसकी चर्चा सरकार बार-बार करती है। जिसकी दुहाई देकर राफेल सौदे की कीमत बताने से इनकार किया जाता है ।वह वेबसाइट पर लगा है ।उसके किसी क्लॉज के अंदर यह नहीं लिखा है कि जहाज की कमर्शियल प्राइस नहीं बताई जा सकती। यह सही है कि जहाज की स्पेसिफिकेशन नहीं बताई जा सकती ,लेकिन कीमत नहीं बताने की कोई शर्त नहीं है। ऐसा कोई एग्रीमेंट नहीं है। सवाल करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि दसॉल्ट एविएशन कंपनी ने 2016 की वार्षिक रिपोर्ट को फ्रांस की जनता के समक्ष और शेयर होल्डर के समक्ष पेश किया है ।उसमें साफ तौर पर बताया गया है कि हिंदुस्तान से एक जहाज की कीमत 1670 करोड़ रुपए ली गई है। जो जहाज 526 करोड़ में खरीदा जा रहा था उसकी कीमत 300 प्रतिशत कैसे बढ़ गई? वह भी तब, जब ना तो टेक्नोलॉजी का ट्रांसफर हो रहा है और ना ही पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग उस जहाज का निर्माण कर रहा है आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि हमारे संविधान में यह स्पष्ट लिखा है कि यह खर्च आपको कैग को बतानी होगी, संसद की स्टैंडिंग कमेटी है जो डिफेंस की उसे बतानी होगी। अगर यह संविधान में अनिवार्य है तो फिर प्रधानमंत्री देश को क्यों गुमराह कर रहे हैं 17 नवंबर 2017 को रक्षा मंत्रालय में बैठकर देश की रक्षा मंत्री ने सार्वजनिक तौर पर रक्षा सचिव को हुक्म दिया था कि राफेल जहाज सौदे की कीमत बता दी जाए। लेकिन प्रधानमंत्री जी ने उस पर रोक लगा दी। फ्रांस की सरकार ने कभी भी कीमत बताने से इनकार नहीं किया है।कांग्रेस नेताओं से मुलाकात में फ्रांस के राष्ट्रपति ने स्पष्ट तौर पर कहा कि मुझे कीमत बताने में कोई एतराज नहीं है। तो फिर जब फ्रांस को एतराज नहीं है, दसॉल्ट एविएशन को एतराज नहीं है, तो फिर भारत की तथाकथित ईमानदार सरकार को क्यों ऐतराज है? आखिर कौन सी गरबरी है, जो प्रधानमंत्री देश से छुपा रहे हैं। क्या प्रधानमंत्री की घबराहट केवल यही नहीं कि तीन सौ प्रतिशत कीमत में इजाफा,टेक्नोलॉजी ट्रांसफर खत्म, और ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट जो 35 हजार करोड़ का है, वो एक पब्लिक सेक्टर डिफेंस अंडरटेकिंग से मिलकर बगैर किसी टेंडर के अपने एक मित्र की जेब में डाल देना, जिनका अनुभव शून्य है। एक झूठ को छुपाने के लिए प्रधानमंत्री हजार झूठ बोल रहे हैं, क्या यह विशेषाधिकार का हनन नहीं है?